ओउम् नम:शिवाय
(शिव रात्रि पर )
यह शिव रात्रि तुम्हारे जीवन, की घुप रात्रि मिटा दे ।
सुख सम्पत्ति प्रवेश करे गृह ,दुख दारिद्रय मिटा दे ।।
शिव त्रिनेत्रधारी हर कर हर दुख भव पार करे ,
दे सतयुग तुझको ,तेरा हर कलियुग पूर्ण घटा दे ।।
हर हर बम बम शिव शिव कह कह बोलें नम: शिवाय ।।
ओउम् नम: शिवाय । ओउम् नम: शिवाय ।।
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Monday, 5 August 2013
Wednesday, 31 July 2013
मिड डे मील ( MDM)
मिड डे मील ( MDM)
समस्यायें और निराकरण
०००००००००००००००००००००००
इतिहास ----
1962-63 तमिलनाडु प्रथम राज्य ।गुजरात 2nd 1984 ।केरल भी 1984 3rd
-----------------------------------------------------------------------
28 नवम्बर 2001 सुप्रीम कोर्ट आदेश पकाया खाना अनिवार्य cooked food mandatory .
------------------------------------------------------------------------------------
मानक----- प्राइमरी --- 450 कैलोरी 12 ग्राम प्रोटीन । जूनियर -- 700 कैलोरी 20 ग्राम प्रोटीन ।
----------------------------------------------------------------------------------------
बजट आवंटन -- 2007-08-----7,324 करोड़
2013-14 ------ 13,215 करोड़
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
कुछ दुर्घटनायें ----
--------------
1- बिहार के सारण ज़िले में ---धरमसती गंडामन गाँव स्थित स्कूल में जहरीला मिड डेमील । 16 जुलाई । 23 बच्चों की मौत । फारेंसिक साइंस लैब की जाँच में ते ल में जहरीला पदार्थ --- आरगैनो फास्फेट ।
प्रधानाध्यापिका मीणादेवी छपरा से गिरफ्तार ।
-----------------------------
घटना का राजनीतिक करण । दलों में सिर फुटौवल ।
०००००००००००००००००००००००००००००००००००
2--- मुरादाबाद के एक ग्राम के स्कूल में मेंढक पकाया । चार की हालत बिगड़ी ।प्रधानाध्यपक निलंबित ।
3--- पलवल ,हरियाणा --- छिपकली
4- धूले , महाराष्ट्र ।
5- निवेली, तमिलनाडु ।
6- in Bhopal panchayat official tries to poison 50kids in a school . Times of India 26 July , new Delhi .
7-1.5 crore kids go hungry as Bihar teachers shun meal duties . 70,200 schools .
8- teachers should not be in kitchens -- HC ALLD . DOUBLE BENCH.
Next hearing on 5th August .
9- उ प्र ने वापस किये 221 करोड़ 2013 में ,खर्च नहीं किये ।
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
1- भोजन की गुणवत्ता । बिना मिलावट और मानकों के अनुरूप ।
2- शिक्षा के स्तर पर गिरावट । मैने स्वयं सीडीओ के रूप में देखा है । यूपी में ।
3- भ्रष्टाचार . अधिक बच्चे दिखा कर भुगतान
4- मिड डे मील की कम मात्रा
5- किचेन तथा अन्य स्थलों की कमी ।
6- अनुपयुक्त कर्मचारी - उत्तरदायित्व की कमी ।
7- अनुश्रवण की कमी और कारगर व्यवस्था का अभाव ।
8- बजट का समय से उपभोग नहीं ।
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
समाधान के उपाय ---
1- माँ के बैंक एकाउंट में बच्चे के मिड डे मील का पैसा ट्रान्सफर किया जाय ।
2- स्कूल में रोटेशन से बच्चों की माताओं की देख रेख में खाना बने इसके लिये उन्हे मानदेय भी दिया जाये ।
3-उपयुक्त और कारगर समीक्षा (monitoring )
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समस्यायें और निराकरण
०००००००००००००००००००००००
इतिहास ----
1962-63 तमिलनाडु प्रथम राज्य ।गुजरात 2nd 1984 ।केरल भी 1984 3rd
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28 नवम्बर 2001 सुप्रीम कोर्ट आदेश पकाया खाना अनिवार्य cooked food mandatory .
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मानक----- प्राइमरी --- 450 कैलोरी 12 ग्राम प्रोटीन । जूनियर -- 700 कैलोरी 20 ग्राम प्रोटीन ।
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बजट आवंटन -- 2007-08-----7,324 करोड़
2013-14 ------ 13,215 करोड़
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
कुछ दुर्घटनायें ----
--------------
1- बिहार के सारण ज़िले में ---धरमसती गंडामन गाँव स्थित स्कूल में जहरीला मिड डेमील । 16 जुलाई । 23 बच्चों की मौत । फारेंसिक साइंस लैब की जाँच में ते ल में जहरीला पदार्थ --- आरगैनो फास्फेट ।
प्रधानाध्यापिका मीणादेवी छपरा से गिरफ्तार ।
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घटना का राजनीतिक करण । दलों में सिर फुटौवल ।
०००००००००००००००००००००००००००००००००००
2--- मुरादाबाद के एक ग्राम के स्कूल में मेंढक पकाया । चार की हालत बिगड़ी ।प्रधानाध्यपक निलंबित ।
3--- पलवल ,हरियाणा --- छिपकली
4- धूले , महाराष्ट्र ।
5- निवेली, तमिलनाडु ।
6- in Bhopal panchayat official tries to poison 50kids in a school . Times of India 26 July , new Delhi .
7-1.5 crore kids go hungry as Bihar teachers shun meal duties . 70,200 schools .
8- teachers should not be in kitchens -- HC ALLD . DOUBLE BENCH.
Next hearing on 5th August .
9- उ प्र ने वापस किये 221 करोड़ 2013 में ,खर्च नहीं किये ।
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
1- भोजन की गुणवत्ता । बिना मिलावट और मानकों के अनुरूप ।
2- शिक्षा के स्तर पर गिरावट । मैने स्वयं सीडीओ के रूप में देखा है । यूपी में ।
3- भ्रष्टाचार . अधिक बच्चे दिखा कर भुगतान
4- मिड डे मील की कम मात्रा
5- किचेन तथा अन्य स्थलों की कमी ।
6- अनुपयुक्त कर्मचारी - उत्तरदायित्व की कमी ।
7- अनुश्रवण की कमी और कारगर व्यवस्था का अभाव ।
8- बजट का समय से उपभोग नहीं ।
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
समाधान के उपाय ---
1- माँ के बैंक एकाउंट में बच्चे के मिड डे मील का पैसा ट्रान्सफर किया जाय ।
2- स्कूल में रोटेशन से बच्चों की माताओं की देख रेख में खाना बने इसके लिये उन्हे मानदेय भी दिया जाये ।
3-उपयुक्त और कारगर समीक्षा (monitoring )
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Tuesday, 18 June 2013
बदलता भारत
बदलता भारत
-------------
धर्म निरपेक्षता शब्द का अर्थ हमारे नेताओं को इतना ही पता है कि जो और जब उन्हे सुविधाजनक लगे वही धर्मनिरपेक्ष है । कश्मीर में इसका अर्थ बाकी देश से कुछ जुदा है । वहाँ अल्प संख्यकों में सिख , ईसाई , जैन , सनातनी आते हैं परन्तु उनको क्या अल्पसंख्यकों वाली सुविधायें वहाँ प्राप्त हैं?
असल में कोई भी राजनीति धर्म सापेक्षता की होनी ही नहीं चाहिये । धर्म के आधार पर न तो किसी का विरोध और न तो किसी का समर्थन -- यह सिद्धान्त होना चाहिये । लेकिन वोटों के लिये जाति , धर्म के जितने दुरुपयोग किये जा रहे हैं उतने शायद अन्य के नहीं । यह दुख:द है कि फिर अगर देश का क्षरण हुआ तो उसकी जड़ में ये दोनों ही होंगे ।
आइये चेतें , लोकतंत्र को , देश को जिन्दा रखने के लिये घटिया नेतागीरी और सिद्धान्तहीन स्वार्थों से बाज आयें ।राष्ट्र को क्षरण से बचायें ।
India Changes ( बदलता भारत )
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-------------
धर्म निरपेक्षता शब्द का अर्थ हमारे नेताओं को इतना ही पता है कि जो और जब उन्हे सुविधाजनक लगे वही धर्मनिरपेक्ष है । कश्मीर में इसका अर्थ बाकी देश से कुछ जुदा है । वहाँ अल्प संख्यकों में सिख , ईसाई , जैन , सनातनी आते हैं परन्तु उनको क्या अल्पसंख्यकों वाली सुविधायें वहाँ प्राप्त हैं?
असल में कोई भी राजनीति धर्म सापेक्षता की होनी ही नहीं चाहिये । धर्म के आधार पर न तो किसी का विरोध और न तो किसी का समर्थन -- यह सिद्धान्त होना चाहिये । लेकिन वोटों के लिये जाति , धर्म के जितने दुरुपयोग किये जा रहे हैं उतने शायद अन्य के नहीं । यह दुख:द है कि फिर अगर देश का क्षरण हुआ तो उसकी जड़ में ये दोनों ही होंगे ।
आइये चेतें , लोकतंत्र को , देश को जिन्दा रखने के लिये घटिया नेतागीरी और सिद्धान्तहीन स्वार्थों से बाज आयें ।राष्ट्र को क्षरण से बचायें ।
India Changes ( बदलता भारत )
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Sunday, 9 June 2013
आत्म कथ्य
आत्म कथ्य
-----------------------------राज कुमार सचान होरी -राष्ट्रीय संयोजक बदलता भारत(India Changes)
भय कहाँ मुझको कभी , असिधार में चलता हूं मैं ,
तुम किनारों से चलो ,मझधार में चलता हूं मैं ।
माँ शारदे ने है दिया अधिकार मुझको लेखनी का ,
"होरी" बना ,नित दर्द के संसार में चलता हूं मैं ।।
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-----------------------------राज कुमार सचान होरी -राष्ट्रीय संयोजक बदलता भारत(India Changes)
भय कहाँ मुझको कभी , असिधार में चलता हूं मैं ,
तुम किनारों से चलो ,मझधार में चलता हूं मैं ।
माँ शारदे ने है दिया अधिकार मुझको लेखनी का ,
"होरी" बना ,नित दर्द के संसार में चलता हूं मैं ।।
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Monday, 3 June 2013
तुम्हारी ऐसी तैसी
तुम्हारी ऐसी तैसी
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
१--कहो जी मन में बैठा चोर, तुम्हारी ऐसी तैसी ।
और फिर खुद ही करते शोर , तुम्हारी ऐसी तैसी ।।
--------------------------------------------
२--कंठी माला तिलक जोगिया वस्त्र धरे,
अन्तस् पापी घट घनघोर ,तुम्हारी ऐसी तैसी ।
----------------------------------------
३---देख और घनघोर घटायें ,क्यों पाँव कांपते ,
और फिर नाचो बन कर मोर , तुम्हारी ऐसी तैसी ।
--------------------------------------------
४--वाक्य बनाते गिरगिट से करते शब्दों के खेल ,
कवि तुम खुद ही भाव विभोर ,तुम्हारी ऐसी तैसी ।
------------------------------------------
५--बार बार सुन चुके तुम्हारी यह कविता तुमसे ,
अमां फिर करते हो बोर ,तुम्हारी ऐसी तैसी ।
-------------------------------------------
६--पतंग उड़ा आकाश दिखाना शगल तुम्हारा,
काटते छुप छुप कर खुद डोर,तुम्हारी ऐसी तैसी ।।
-------------------------------------------
७--कठपुतली से मंदिर मस्जिद गिरजाघर गुरुद्वारे,
ओट से खुदी नचाते डोर , तुम्हारी ऐसी तैसी ।
-------------------------------------------
८--तुम सबने चूसा था उसको जब तक वह था जीवित,
अब कफ़न बाँट की होड़ , तुम्हारी ऐसी तैसी ।
-----------------------------------------------
९--दिल्ली रानी राज कर रही देश धंस रहा दलदल में ,
बिल्ली सी बनी चटोर , तुम्हारी ऐसी तैसी ।
----------------------------------------------
१०--माना तुम हो बड़े आदमी पूछ तुम्हारी ,
"होरी" आदत से पर ढोर, तुम्हारी ऐसी तैसी ।
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान "होरी"
विशेष --- 1991 में लिखी मेरी यह ग़ज़ल काव्यमंचों की मेरी पहचान बनी थी ।कभी दरबार हाल ,राजभवन , लखनऊ में तहलका मचाया था । फेसबुकीय मित्रों को समर्पित ---तुम्हारी ऐसी तैसी , इस निवेदन के साथ कि इसमें कही गई कोई भी बात आपके लिये नहीं परन्तु यदि कोई भी बात आप पर सत्य बैठे तो यह महज़ संयोग होगा ,"तुम्हारी ऐसी तैसी " नहीं ।
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००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
१--कहो जी मन में बैठा चोर, तुम्हारी ऐसी तैसी ।
और फिर खुद ही करते शोर , तुम्हारी ऐसी तैसी ।।
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२--कंठी माला तिलक जोगिया वस्त्र धरे,
अन्तस् पापी घट घनघोर ,तुम्हारी ऐसी तैसी ।
----------------------------------------
३---देख और घनघोर घटायें ,क्यों पाँव कांपते ,
और फिर नाचो बन कर मोर , तुम्हारी ऐसी तैसी ।
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४--वाक्य बनाते गिरगिट से करते शब्दों के खेल ,
कवि तुम खुद ही भाव विभोर ,तुम्हारी ऐसी तैसी ।
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५--बार बार सुन चुके तुम्हारी यह कविता तुमसे ,
अमां फिर करते हो बोर ,तुम्हारी ऐसी तैसी ।
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६--पतंग उड़ा आकाश दिखाना शगल तुम्हारा,
काटते छुप छुप कर खुद डोर,तुम्हारी ऐसी तैसी ।।
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७--कठपुतली से मंदिर मस्जिद गिरजाघर गुरुद्वारे,
ओट से खुदी नचाते डोर , तुम्हारी ऐसी तैसी ।
-------------------------------------------
८--तुम सबने चूसा था उसको जब तक वह था जीवित,
अब कफ़न बाँट की होड़ , तुम्हारी ऐसी तैसी ।
-----------------------------------------------
९--दिल्ली रानी राज कर रही देश धंस रहा दलदल में ,
बिल्ली सी बनी चटोर , तुम्हारी ऐसी तैसी ।
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१०--माना तुम हो बड़े आदमी पूछ तुम्हारी ,
"होरी" आदत से पर ढोर, तुम्हारी ऐसी तैसी ।
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान "होरी"
विशेष --- 1991 में लिखी मेरी यह ग़ज़ल काव्यमंचों की मेरी पहचान बनी थी ।कभी दरबार हाल ,राजभवन , लखनऊ में तहलका मचाया था । फेसबुकीय मित्रों को समर्पित ---तुम्हारी ऐसी तैसी , इस निवेदन के साथ कि इसमें कही गई कोई भी बात आपके लिये नहीं परन्तु यदि कोई भी बात आप पर सत्य बैठे तो यह महज़ संयोग होगा ,"तुम्हारी ऐसी तैसी " नहीं ।
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Saturday, 1 June 2013
क्रिकेट छोड़ो --देश बचाओ ----एक मुहिम
क्रिकेट छोड़ो --देश बचाओ ----एक मुहिम
००००००००००
---------------------------------------
राज कुमार सचान 'होरी' --राष्ट्रीय अध्यक्ष --बदलता भारत ( India Changes )
आपको सर्वप्रथम इंग्लैंड के इतिहास की ओर ले चलता हूं जिसके लिये कहा जाता था कि उसके राज्य में सूर्य नहीं डूबता था । था भी सत्य क्योंकि उसका राज्य सम्पूर्ण विश्व में फैला हुआ था । जब अंग्रेज चरम उत्कर्ष पर थे तभी उन्होने क्रिकेट खेल का आविष्कार किया और ब्रिटेन में " मेरिलबोन क्रिकेट क्लब " (M.C.C) की स्थापना की । यह विस्तृत शोध का विषय है एक ओर क्रिकेट का उत्थान होता रहा दूसरी ओर अंग्रेजों की सत्ता का पतन ।अंग्रेज कौ़म क्रिकेट खेलने में व्यस्त हो गई और धीरे धीरे वह राज करने के तरीके भूल गई । आलम यह कि क्रिकेट के उच्चतम स्तर तक पहुचते पहुँचते अंग्रेज निम्न स्तर पर आ गये और अंग्रेजों का सूरज सदा सदा के लिये डूब गया । अब हमारी बारी है ।
क्रिकेट और जुयें( gambling ) में समानतायें इस कदर हैं कि आप इसे खेल नहीं अपितु एक जुआं ही कह सकते हैं ।जुयें( gambling ) में कर्म , ज्ञान से अधिक स्थान भाग्य का होता है । अनिश्चितता के इस खेल को खेल जुयें का तो कहा जा सकता है game या sport नहींं । तभी fixing का बादशाह ही क्रिकेट है क्योंकि क्रिकेट स्वयं gambling है । पूरा का पूरा देश जुयें में लग गया कोई खेलने में तो कोई देखने में । अब इससे ईश्वर ही बचा सकता है ।
खेलों के मुकाबले जुयें में मनोरंजन अधिक होता है यह सर्वमान्य तथ्य है तभी क्रिकेट में अन्य खेलों के मुकाबले मनोरंजन का खजाना खुला रहता है । काम धन्धा छोड़ पूरा देश उसी में व्यस्त ०००विद्यार्थी अध्यापक, दुकानदार खरीददार , मज़दूर मालिक , नेता जनता --- पूरा देश आकंठ डूबा ।
सर्वे करिये देश के प्रत्येक नागरिक के कितने काम के घंटे वर्ष भर में क्रिकेट में स्वाहा होते हैं । पूरे देश को कितनी क्षति होती है ?? भारत जैसे विकासशील देश में समय की यह बरबादी हमें ग़रीब बनाने के लिये काफ़ी है ।
हम इंग्लैंड और अंग्रेजों के इतिहास से अगर सबक न ले सके तो हमें डूबने से कोई बचा न सकेगा हमारा भगवान भी नहीं ।जब इंग्लैंड जैसा देश जिसके राज्य में सूरज नहीं डूबता था एक कोने में सिमट कर रह गया , पूरी तरह बिखर गया तब हमारी क्या बिसात ? हम तो वैसे ही कमज़ोर हैं , हम क्रिकेट के धक्के को कतई बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे ।
आइये "क्रिकेट छोड़ें -देश बचायें --एक मुहिम " में हमारा साथ दें । भारत को एक संभावित मुसीबत से उबारें ।। देशप्रेमी , राष्ट्रभक्त साथियों ! आयें भारत बचायें ।।
बदलता भारत(India Changes) आपके साथ ।।
राज कुमार सचान "होरी"
राष्ट्रीय अध्यक्ष --बदलता भारत
www.indiachanges.com , indiachanges2012.blogspot.com , indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , Facebook / pages / India changes
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राज कुमार सचान 'होरी' --राष्ट्रीय अध्यक्ष --बदलता भारत ( India Changes )
आपको सर्वप्रथम इंग्लैंड के इतिहास की ओर ले चलता हूं जिसके लिये कहा जाता था कि उसके राज्य में सूर्य नहीं डूबता था । था भी सत्य क्योंकि उसका राज्य सम्पूर्ण विश्व में फैला हुआ था । जब अंग्रेज चरम उत्कर्ष पर थे तभी उन्होने क्रिकेट खेल का आविष्कार किया और ब्रिटेन में " मेरिलबोन क्रिकेट क्लब " (M.C.C) की स्थापना की । यह विस्तृत शोध का विषय है एक ओर क्रिकेट का उत्थान होता रहा दूसरी ओर अंग्रेजों की सत्ता का पतन ।अंग्रेज कौ़म क्रिकेट खेलने में व्यस्त हो गई और धीरे धीरे वह राज करने के तरीके भूल गई । आलम यह कि क्रिकेट के उच्चतम स्तर तक पहुचते पहुँचते अंग्रेज निम्न स्तर पर आ गये और अंग्रेजों का सूरज सदा सदा के लिये डूब गया । अब हमारी बारी है ।
क्रिकेट और जुयें( gambling ) में समानतायें इस कदर हैं कि आप इसे खेल नहीं अपितु एक जुआं ही कह सकते हैं ।जुयें( gambling ) में कर्म , ज्ञान से अधिक स्थान भाग्य का होता है । अनिश्चितता के इस खेल को खेल जुयें का तो कहा जा सकता है game या sport नहींं । तभी fixing का बादशाह ही क्रिकेट है क्योंकि क्रिकेट स्वयं gambling है । पूरा का पूरा देश जुयें में लग गया कोई खेलने में तो कोई देखने में । अब इससे ईश्वर ही बचा सकता है ।
खेलों के मुकाबले जुयें में मनोरंजन अधिक होता है यह सर्वमान्य तथ्य है तभी क्रिकेट में अन्य खेलों के मुकाबले मनोरंजन का खजाना खुला रहता है । काम धन्धा छोड़ पूरा देश उसी में व्यस्त ०००विद्यार्थी अध्यापक, दुकानदार खरीददार , मज़दूर मालिक , नेता जनता --- पूरा देश आकंठ डूबा ।
सर्वे करिये देश के प्रत्येक नागरिक के कितने काम के घंटे वर्ष भर में क्रिकेट में स्वाहा होते हैं । पूरे देश को कितनी क्षति होती है ?? भारत जैसे विकासशील देश में समय की यह बरबादी हमें ग़रीब बनाने के लिये काफ़ी है ।
हम इंग्लैंड और अंग्रेजों के इतिहास से अगर सबक न ले सके तो हमें डूबने से कोई बचा न सकेगा हमारा भगवान भी नहीं ।जब इंग्लैंड जैसा देश जिसके राज्य में सूरज नहीं डूबता था एक कोने में सिमट कर रह गया , पूरी तरह बिखर गया तब हमारी क्या बिसात ? हम तो वैसे ही कमज़ोर हैं , हम क्रिकेट के धक्के को कतई बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे ।
आइये "क्रिकेट छोड़ें -देश बचायें --एक मुहिम " में हमारा साथ दें । भारत को एक संभावित मुसीबत से उबारें ।। देशप्रेमी , राष्ट्रभक्त साथियों ! आयें भारत बचायें ।।
बदलता भारत(India Changes) आपके साथ ।।
राज कुमार सचान "होरी"
राष्ट्रीय अध्यक्ष --बदलता भारत
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Friday, 24 May 2013
कैंडिल मार्च क्यों ???
कैंडिल मार्च क्यों ???
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
भाइयों एवं बहनों,
देश में जनसंख्या विष्फोटक स्थिति पर पहुँच चुकी है जो आज देश की सारी प्रगति को दीमक की तरह चाट रही है ।इसी बढ़ती जनसंख्या के कारण आज शहरों में चलना दूर है , चारों ओर जाम ही जाम । अगर हम अभी नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब सारे शहर केवल भीड़भाड़ वाले मेलों में तब्दील हो जायेंगे और हम एक स्थान से दूसरे स्थान तक मेलों की भाँति केवल पैदल ही पहुँच पायेंगे ।
जनसंख्या नियंत्रण के लिये जागरूकता कार्यक्रम सरकारों द्वारा चलाये जाते रहे लेकिन आंकडे़ सामने हैं । कभी गंभीरता से चिन्तन करिये तो राष्ट्र के भविष्य के लिये यक्ष प्रश्न खड़ी करती है जनसंख्या । जिस देश की अधिसंख्य आबादी कुपोषण से ग्रस्त, अशिक्षित , बेरोजगार ,ग़रीब हो उस देश से आशा भी क्या की जा सकती है ?
हमारी जनसंख्या का घनत्व ग़रीबी के मध्य सर्वाधिक है । ग़रीबी और आबादी एक दूसरे के पूरक हैं , अन्योन्याश्रित हैं । देश की युवा फौज का 80% अंश ग़रीब परिवारों से है जो स्वयं साधन हीन है ,वे देश के विकास में कितनी भागीदारी निभायेंगे ? जनसंख्यावृद्धि धर्म , सम्प्रदाय , जाति से जोड़ कर देखना एक गंभीर भूल है , समस्या से मुँह मोड़ना है । ग़रीबों की स्थितियां ही ऐसी होती हैं कि उन्हीं के बीच जनसंख्या तेज़ी से फलती फूलती है ।
एक बात यहाँ गंभीरता से समझनी होगी ----- नेताओं, राजनीतिक दलों और धनाड्यों को जनसंख्या बढ़ने से लाभ है -----एक को भारी संख्या में मतदाता मिलते हैं तो दूसरे को मिलते हैं उपभोक्ता और सस्ते श्रमिक । इसलिये राष्ट्र को अपूरणीय क्षति पहुँचाने वाली इस समस्या से हमें ही जूझना होगा । जागरूकता पैदा करने के साथ साथ हमें आन्दोलन चलाने होंगे ---- एक सक्षम क़ानून के लिये । हिन्दू , मुस्लिम , सिख ,ईसाई आदि सभी को कंधे से कंधा मिला कर । चीन का उदाहरण हमारे सामने है । ग़रीब के हित में और राष्ट्र के हित में इस देश को एक न एक दिन "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम "बनाना होगा और देश को अपूरणीय क्षति से बचाना होगा ।
हम कैंडिल मार्च से देश का ध्यान खींचना चाहते हैं और देश की संसद से माँग करते हैं कि शीघ्र ही इस आशय का बिल संसद में लाये और समुचित प्रावधानों के साथ उसे शीघ्र पारित करे ।आइये ,भारत बदलना चाहता है -- समय की माँग है -- बस हम खुले मन से साथ दें ।
बदलता भारत( INDIA CHANGES ) की अनेक माँगे हैं जिनके लिये हम संघर्षरत हैं और उनमें से एक है ---- जनसंख्या नियंत्रण के लिये सक्षम क़ानून की माँग । क़ानून जो सबके लिये समान हो ,कोई दबाव नहीं , जोरजबरदस्ती नहीं --बस एक क़ानून हम सबके लिये ।
आइये जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बनवाने के लिये 8 जून 2013 को हम मिल कर कैंडिल मार्च निकाल कर जन जागृति पैदा करे़ और संसद तक अपनी बात पहुंचायें ।
''जनसंख्या के सैलाब में बह न जायें हम कहीं ,
क़ानून की पतवार अब , हाथ में ले लीजिये ।
'होरी' अभी भी है समय कुछ चेतिये,उठ बैठिये ,
डूबने से पूर्व ,जिन्दा कौ़म हैं , कुछ कीजिये ।।'' आपका साथी
राज कुमार सचान 'होरी'
राष्ट्रीय संयोजक
दिनांक --25 मई 2013 INDIA CHANGES (बदलता भारत )
Facebook.com/pages/ India changes , Facebook.com/ group/ India changes , www.indiachanges.com , indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , horibadaltabharat.blogspot.com
Emails ---indiachanges2012@gmail.com , indiachanges2013@gmail.com
Delhi office --- 182/3 गुरु कृपा एपार्टममेंट , ग्राउंड फ्लोर , महरौली ,नई दिल्ली -30 ,, ग़ाज़ियाबाद कार्यालय --63 NITI KHAND 3rd ,Indirapuram Gzb
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भाइयों एवं बहनों,
देश में जनसंख्या विष्फोटक स्थिति पर पहुँच चुकी है जो आज देश की सारी प्रगति को दीमक की तरह चाट रही है ।इसी बढ़ती जनसंख्या के कारण आज शहरों में चलना दूर है , चारों ओर जाम ही जाम । अगर हम अभी नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब सारे शहर केवल भीड़भाड़ वाले मेलों में तब्दील हो जायेंगे और हम एक स्थान से दूसरे स्थान तक मेलों की भाँति केवल पैदल ही पहुँच पायेंगे ।
जनसंख्या नियंत्रण के लिये जागरूकता कार्यक्रम सरकारों द्वारा चलाये जाते रहे लेकिन आंकडे़ सामने हैं । कभी गंभीरता से चिन्तन करिये तो राष्ट्र के भविष्य के लिये यक्ष प्रश्न खड़ी करती है जनसंख्या । जिस देश की अधिसंख्य आबादी कुपोषण से ग्रस्त, अशिक्षित , बेरोजगार ,ग़रीब हो उस देश से आशा भी क्या की जा सकती है ?
हमारी जनसंख्या का घनत्व ग़रीबी के मध्य सर्वाधिक है । ग़रीबी और आबादी एक दूसरे के पूरक हैं , अन्योन्याश्रित हैं । देश की युवा फौज का 80% अंश ग़रीब परिवारों से है जो स्वयं साधन हीन है ,वे देश के विकास में कितनी भागीदारी निभायेंगे ? जनसंख्यावृद्धि धर्म , सम्प्रदाय , जाति से जोड़ कर देखना एक गंभीर भूल है , समस्या से मुँह मोड़ना है । ग़रीबों की स्थितियां ही ऐसी होती हैं कि उन्हीं के बीच जनसंख्या तेज़ी से फलती फूलती है ।
एक बात यहाँ गंभीरता से समझनी होगी ----- नेताओं, राजनीतिक दलों और धनाड्यों को जनसंख्या बढ़ने से लाभ है -----एक को भारी संख्या में मतदाता मिलते हैं तो दूसरे को मिलते हैं उपभोक्ता और सस्ते श्रमिक । इसलिये राष्ट्र को अपूरणीय क्षति पहुँचाने वाली इस समस्या से हमें ही जूझना होगा । जागरूकता पैदा करने के साथ साथ हमें आन्दोलन चलाने होंगे ---- एक सक्षम क़ानून के लिये । हिन्दू , मुस्लिम , सिख ,ईसाई आदि सभी को कंधे से कंधा मिला कर । चीन का उदाहरण हमारे सामने है । ग़रीब के हित में और राष्ट्र के हित में इस देश को एक न एक दिन "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम "बनाना होगा और देश को अपूरणीय क्षति से बचाना होगा ।
हम कैंडिल मार्च से देश का ध्यान खींचना चाहते हैं और देश की संसद से माँग करते हैं कि शीघ्र ही इस आशय का बिल संसद में लाये और समुचित प्रावधानों के साथ उसे शीघ्र पारित करे ।आइये ,भारत बदलना चाहता है -- समय की माँग है -- बस हम खुले मन से साथ दें ।
बदलता भारत( INDIA CHANGES ) की अनेक माँगे हैं जिनके लिये हम संघर्षरत हैं और उनमें से एक है ---- जनसंख्या नियंत्रण के लिये सक्षम क़ानून की माँग । क़ानून जो सबके लिये समान हो ,कोई दबाव नहीं , जोरजबरदस्ती नहीं --बस एक क़ानून हम सबके लिये ।
आइये जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बनवाने के लिये 8 जून 2013 को हम मिल कर कैंडिल मार्च निकाल कर जन जागृति पैदा करे़ और संसद तक अपनी बात पहुंचायें ।
''जनसंख्या के सैलाब में बह न जायें हम कहीं ,
क़ानून की पतवार अब , हाथ में ले लीजिये ।
'होरी' अभी भी है समय कुछ चेतिये,उठ बैठिये ,
डूबने से पूर्व ,जिन्दा कौ़म हैं , कुछ कीजिये ।।'' आपका साथी
राज कुमार सचान 'होरी'
राष्ट्रीय संयोजक
दिनांक --25 मई 2013 INDIA CHANGES (बदलता भारत )
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Emails ---indiachanges2012@gmail.com , indiachanges2013@gmail.com
Delhi office --- 182/3 गुरु कृपा एपार्टममेंट , ग्राउंड फ्लोर , महरौली ,नई दिल्ली -30 ,, ग़ाज़ियाबाद कार्यालय --63 NITI KHAND 3rd ,Indirapuram Gzb
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Thursday, 23 May 2013
4 /कृषि को उद्योग का दर्जा
4 /कृषि को उद्योग का दर्जा
----------------------
कृषि के समस्त कार्य एक उद्योग की तरह हैं । लगातार पूंजी निवेश , स्रम , उत्पादन आदि समस्त क्रियायें उद्योगों की भाँति होती हैं । समर्थन मूल्य भी मज़बूरी मे ही सही सरकारों द्वारा जारी किये जाते हैं । कृषक और कृषि असंगठित क्षेत्र हैं इस लिये उद्योंगों की तरह अपने मूल्य का निर्धारण नहीं कर पाता है । लागतें बढ़ती जाती हैं जिससे शुद्ध आय कम हो जाती है । कीमतों का निर्धारण आय और व्यय के आधार पर किया जाता है परन्तु कृषि में ऐसा नहीं हो रहा है । यहाँ किसान फ़सलें बो तो सकता है पर उनकी कीमत उद्योंगो की तरह स्वयं निर्धारित नहीं कर सकता ।
कृषि के अंतर्गत लागत अधिक और आय कम होने के कारण किसानों का जीवनयापन तक कठिन है । देश भर में किसानों के द्वारा आत्महत्या की घटनायें भी प्रकाश में आती रहती हैं । कृषि को लाभकारी बनाना किसानों के लिये तो ज़रूरी है ही समस्त देश के विकास और अनाज उपलब्धता के लिये भी आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य भी है ।
एक उद्योग की तरह बैंकों से लोन भी स्वीकृत नहीं हो सकता ।कृषि को स्वयं बैंक घाटे का क्षेत्र मानता है। परन्तु दोनों स्थितियों से किसान को मुक्ति मिल सकती है यदि कृषि को उद्योग का दर्जा दे दिया जाय ।
इंडिया चेंजेज़ (INDIA CHANGES )
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कृषि के समस्त कार्य एक उद्योग की तरह हैं । लगातार पूंजी निवेश , स्रम , उत्पादन आदि समस्त क्रियायें उद्योगों की भाँति होती हैं । समर्थन मूल्य भी मज़बूरी मे ही सही सरकारों द्वारा जारी किये जाते हैं । कृषक और कृषि असंगठित क्षेत्र हैं इस लिये उद्योंगों की तरह अपने मूल्य का निर्धारण नहीं कर पाता है । लागतें बढ़ती जाती हैं जिससे शुद्ध आय कम हो जाती है । कीमतों का निर्धारण आय और व्यय के आधार पर किया जाता है परन्तु कृषि में ऐसा नहीं हो रहा है । यहाँ किसान फ़सलें बो तो सकता है पर उनकी कीमत उद्योंगो की तरह स्वयं निर्धारित नहीं कर सकता ।
कृषि के अंतर्गत लागत अधिक और आय कम होने के कारण किसानों का जीवनयापन तक कठिन है । देश भर में किसानों के द्वारा आत्महत्या की घटनायें भी प्रकाश में आती रहती हैं । कृषि को लाभकारी बनाना किसानों के लिये तो ज़रूरी है ही समस्त देश के विकास और अनाज उपलब्धता के लिये भी आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य भी है ।
एक उद्योग की तरह बैंकों से लोन भी स्वीकृत नहीं हो सकता ।कृषि को स्वयं बैंक घाटे का क्षेत्र मानता है। परन्तु दोनों स्थितियों से किसान को मुक्ति मिल सकती है यदि कृषि को उद्योग का दर्जा दे दिया जाय ।
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4 /कृषि को उद्योग का दर्जा
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कृषि के समस्त कार्य एक उद्योग की तरह हैं । लगातार पूंजी निवेश , स्रम , उत्पादन आदि समस्त क्रियायें उद्योगों की भाँति होती हैं । समर्थन मूल्य भी मज़बूरी मे ही सही सरकारों द्वारा जारी किये जाते हैं । कृषक और कृषि असंगठित क्षेत्र हैं इस लिये उद्योंगों की तरह अपने मूल्य का निर्धारण नहीं कर पाता है । लागतें बढ़ती जाती हैं जिससे शुद्ध आय कम हो जाती है । कीमतों का निर्धारण आय और व्यय के आधार पर किया जाता है परन्तु कृषि में ऐसा नहीं हो रहा है । यहाँ किसान फ़सलें बो तो सकता है पर उनकी कीमत उद्योंगो की तरह स्वयं निर्धारित नहीं कर सकता ।
कृषि के अंतर्गत लागत अधिक और आय कम होने के कारण किसानों का जीवनयापन तक कठिन है । देश भर में किसानों के द्वारा आत्महत्या की घटनायें भी प्रकाश में आती रहती हैं । कृषि को लाभकारी बनाना किसानों के लिये तो ज़रूरी है ही समस्त देश के विकास और अनाज उपलब्धता के लिये भी आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य भी है ।
एक उद्योग की तरह बैंकों से लोन भी स्वीकृत नहीं हो सकता ।कृषि को स्वयं बैंक घाटे का क्षेत्र मानता है। परन्तु दोनों स्थितियों से किसान को मुक्ति मिल सकती है यदि कृषि को उद्योग का दर्जा दे दिया जाय ।
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कृषि के समस्त कार्य एक उद्योग की तरह हैं । लगातार पूंजी निवेश , स्रम , उत्पादन आदि समस्त क्रियायें उद्योगों की भाँति होती हैं । समर्थन मूल्य भी मज़बूरी मे ही सही सरकारों द्वारा जारी किये जाते हैं । कृषक और कृषि असंगठित क्षेत्र हैं इस लिये उद्योंगों की तरह अपने मूल्य का निर्धारण नहीं कर पाता है । लागतें बढ़ती जाती हैं जिससे शुद्ध आय कम हो जाती है । कीमतों का निर्धारण आय और व्यय के आधार पर किया जाता है परन्तु कृषि में ऐसा नहीं हो रहा है । यहाँ किसान फ़सलें बो तो सकता है पर उनकी कीमत उद्योंगो की तरह स्वयं निर्धारित नहीं कर सकता ।
कृषि के अंतर्गत लागत अधिक और आय कम होने के कारण किसानों का जीवनयापन तक कठिन है । देश भर में किसानों के द्वारा आत्महत्या की घटनायें भी प्रकाश में आती रहती हैं । कृषि को लाभकारी बनाना किसानों के लिये तो ज़रूरी है ही समस्त देश के विकास और अनाज उपलब्धता के लिये भी आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य भी है ।
एक उद्योग की तरह बैंकों से लोन भी स्वीकृत नहीं हो सकता ।कृषि को स्वयं बैंक घाटे का क्षेत्र मानता है। परन्तु दोनों स्थितियों से किसान को मुक्ति मिल सकती है यदि कृषि को उद्योग का दर्जा दे दिया जाय ।
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Wednesday, 22 May 2013
इंडिया चेंज़ेज़ (INDIA CHANGES )
इंडिया चेंज़ेज़ (INDIA CHANGES )
( एक राष्ट्रीय आंदोलन ़़़़़़आम जन को समर्पित )
हमारे मुख्य बिन्दु ़़़़़़़़़़
(1) मनरेगा ( महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना)को मज़दूर और किसान के हित तथा क्रषि और राष्ट्र हित में पूर्ण सम्बद्ध कराना ।
(2) जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिये देश के विकास के हित में क़ानून की माँग ।
(3) 73 वें और 74 वें संविधान संसोधन को जनता की सरकार जनता के द्वार के लिये लागू कराना । जनता के सशक्तीकरण के लिये आंदोलन ।
(4) क्ृषि को उद्योग का दर्जा दिलाना ।
(5) अस्पृश्यता निवारण और सामाजिक समरसता स्थापित करने हेतु जातिविहीन समाज की स्थापना ।
(6) चुनाव सुधार ।
(7) शहरीकरण को बढ़ावा देना ।
(8) सेना को सुविधायें और सम्मान वृद्धि की माँग ।
(9) भारतीय भाषाओं और राजभाषा हिन्दी का उत्थान ।
(10) समस्त अनुदानों को लाभार्थियों के खातों में सीधे भेजने की माँग ।
(11) राष्ट्रीय एकीकरण व राष्ट्र वाद का पोषण ।
(12) बेरोजगारी दूर करने हेतु आंदोलन और उपाय सुझाना ।
(13) समस्त देश में सफाई कर्मचारियों और उनके परिवारों का उन्नयन तथा 2011 की जनसंख्या के आधार पर भर्ती हेतु आंदोलन ।
(14) नारी अल्प संख्यक और कमज़ोर वर्गों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा की सतत माँग ।
इन बिंदुओं के लिये आंदोलन चलाना और समान विचारधारा वाले संगठनों तथा प्रदेश और देश की सरकारों से इस हेतु सहयोग प्राप्त करना ।
उपरोक्त बिन्दुओं के अतिरिक्त समय समय पर देश के किसी भी क्षेत्र की ऐसी समस्याओं के निस्तारण के लिये कार्य करना जो व्यापक जनहित से जुड़ी हों ।
राज कुमार सचान ' होरी'
Mob-08800228539 ,08938841199,07599155999
rajkumarsachanhori@gmail.com , राष्ट्रीय संयोजक
इंडिया चेंजेज़ (India Changes) Delhi office ...182/3 गुरु कृपा अपार्टमेंट ,(ग्राउंड फ्लोर)महरौली , नई दिल्ली -30
63,नीति खंड तृतीय ,इंदिरापुरम ,ग़ाज़ियाबाद
Lko office ..redfile ,near Islamia college ,Lal Bag ,Lucknow
www.indiachanges.com
indiachanges2012@gmail.com
indiachanges2013@gmail.com
horiindiachanges@gmail.com
Indiachanges2013.blogspot.com ,indiachanges2020.blogspot.com ,horiindiachanges.blogspot.com ,horibadaltabharat.blogspot.com
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( एक राष्ट्रीय आंदोलन ़़़़़़आम जन को समर्पित )
हमारे मुख्य बिन्दु ़़़़़़़़़़
(1) मनरेगा ( महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना)को मज़दूर और किसान के हित तथा क्रषि और राष्ट्र हित में पूर्ण सम्बद्ध कराना ।
(2) जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिये देश के विकास के हित में क़ानून की माँग ।
(3) 73 वें और 74 वें संविधान संसोधन को जनता की सरकार जनता के द्वार के लिये लागू कराना । जनता के सशक्तीकरण के लिये आंदोलन ।
(4) क्ृषि को उद्योग का दर्जा दिलाना ।
(5) अस्पृश्यता निवारण और सामाजिक समरसता स्थापित करने हेतु जातिविहीन समाज की स्थापना ।
(6) चुनाव सुधार ।
(7) शहरीकरण को बढ़ावा देना ।
(8) सेना को सुविधायें और सम्मान वृद्धि की माँग ।
(9) भारतीय भाषाओं और राजभाषा हिन्दी का उत्थान ।
(10) समस्त अनुदानों को लाभार्थियों के खातों में सीधे भेजने की माँग ।
(11) राष्ट्रीय एकीकरण व राष्ट्र वाद का पोषण ।
(12) बेरोजगारी दूर करने हेतु आंदोलन और उपाय सुझाना ।
(13) समस्त देश में सफाई कर्मचारियों और उनके परिवारों का उन्नयन तथा 2011 की जनसंख्या के आधार पर भर्ती हेतु आंदोलन ।
(14) नारी अल्प संख्यक और कमज़ोर वर्गों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा की सतत माँग ।
इन बिंदुओं के लिये आंदोलन चलाना और समान विचारधारा वाले संगठनों तथा प्रदेश और देश की सरकारों से इस हेतु सहयोग प्राप्त करना ।
उपरोक्त बिन्दुओं के अतिरिक्त समय समय पर देश के किसी भी क्षेत्र की ऐसी समस्याओं के निस्तारण के लिये कार्य करना जो व्यापक जनहित से जुड़ी हों ।
राज कुमार सचान ' होरी'
Mob-08800228539 ,08938841199,07599155999
rajkumarsachanhori@gmail.com , राष्ट्रीय संयोजक
इंडिया चेंजेज़ (India Changes) Delhi office ...182/3 गुरु कृपा अपार्टमेंट ,(ग्राउंड फ्लोर)महरौली , नई दिल्ली -30
63,नीति खंड तृतीय ,इंदिरापुरम ,ग़ाज़ियाबाद
Lko office ..redfile ,near Islamia college ,Lal Bag ,Lucknow
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एक दोहा सिर्फ़ आपके लिये ००००००००००
एक दोहा सिर्फ़ आपके लिये ००००००००००
माना तुमने पा लिया , निज कर से आकाश ।
लेकिन पा न सके उन्हें ,जो बैठे थे पास ।।
०००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान होरी
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माना तुमने पा लिया , निज कर से आकाश ।
लेकिन पा न सके उन्हें ,जो बैठे थे पास ।।
०००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान होरी
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Tuesday, 21 May 2013
ग्राम सरकार और नगर सरकार
ग्राम सरकार और नगर सरकार
*******************************************************************
(3) ग्राम सरकार और नगर सरकार ़़़़ 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संशोधन लागू कराना ।
भारत के जनमानस को ध्यान में रख अपनी जनता के सशक्तीकरण के लिये कभी देश की संसद ने बड़े उत्साह और राष्ट्र के प्रति पूर्ण निष्ठा की पवित्र भावना से गाँवों और नगरों को अपनी सरकार बनाने के लिये 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संसोधन करते हुये देश कीजनता को है अधिकार दिया। था ।
आज स्थिति यह हैै इतने महत्वपूर्ण संविधान संसोधन हम अभी तक सम्पूर्ण देश में लागू नहीं कर पाये हैं । जिन प्रदेशोंने इन्हें लागू किया है वहाँ के परिणाम बड़े अच्छे , उत्साहवर्धक रहे हैं । परन्तु कुछ प्रदेश इन्हें अपने अधिकारों में हनन समझकर लागू नहीं कर रहे हैं । जिन प्रदेशों में इन्हें लागू नहीं किया गया उनकी स्थिति विकास की दृष्टि से असन्तोषजनक बनी हुयी है ।
देश की आधी जनता ग़रीबी रेखा के नीचे है ,विकास की दौड़ में अत्यन्त पीछे ।जनता की नियम क़ानून बनानें और संसाधनों के विकास में कोई भागीदारी नहीं है ।जबकि उक्त संसोधनों के पीछे जनता जनार्दन को सशक्त बनाने की भावना थी ।
इंडिया चेंजेज़ ( INDIA CHANGES ) ने इस प्रकरण में देश की नब्ज जानने की कोशिश की हैै़़़़ ़़़देश। के समस्त प्रधान , पंचायतों के प्रतिनिधि , ग्रामीण जनता 73 वाँ संसोधन लागू कराना चाहती है । इसके लिये समय समय पर आंदोलन भी होते रहते हैं । इसी तरह 74 वाँ संसोधन नगर निकायों के जनता के प्रतिनिधि - पार्षद और महापौर तथा नगरीय जनता लागू कराना चाहती है ।
आइए जनभावनाओं के अनुरूप देश की समस्त जनता की भलाई के लिये बिना किसी और विलम्ब के उक्त दोनों संसोधनों को पूर्ण निष्ठा से लागू करें। हम यह भी माँग करते हैं कि संसद एक संसोधन के द्वारा इन्हें स्वैच्छिक के स्थान पर अनिवार्य कर दे। जनता के इतने महत्वपूर्ण अधिकार राज्य सरकारों के भरोसे न छोड़े जाँय ।
जनता के द्वारा जनता की सरकार के लिये भले ही देशव्यापी आंदोलन क्यों न छेड़ना पड़े ।
इंडिया चेंजेज़ ( INDIA CHANGES )(बदलता भारत )
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(3) ग्राम सरकार और नगर सरकार ़़़़ 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संशोधन लागू कराना ।
भारत के जनमानस को ध्यान में रख अपनी जनता के सशक्तीकरण के लिये कभी देश की संसद ने बड़े उत्साह और राष्ट्र के प्रति पूर्ण निष्ठा की पवित्र भावना से गाँवों और नगरों को अपनी सरकार बनाने के लिये 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संसोधन करते हुये देश कीजनता को है अधिकार दिया। था ।
आज स्थिति यह हैै इतने महत्वपूर्ण संविधान संसोधन हम अभी तक सम्पूर्ण देश में लागू नहीं कर पाये हैं । जिन प्रदेशोंने इन्हें लागू किया है वहाँ के परिणाम बड़े अच्छे , उत्साहवर्धक रहे हैं । परन्तु कुछ प्रदेश इन्हें अपने अधिकारों में हनन समझकर लागू नहीं कर रहे हैं । जिन प्रदेशों में इन्हें लागू नहीं किया गया उनकी स्थिति विकास की दृष्टि से असन्तोषजनक बनी हुयी है ।
देश की आधी जनता ग़रीबी रेखा के नीचे है ,विकास की दौड़ में अत्यन्त पीछे ।जनता की नियम क़ानून बनानें और संसाधनों के विकास में कोई भागीदारी नहीं है ।जबकि उक्त संसोधनों के पीछे जनता जनार्दन को सशक्त बनाने की भावना थी ।
इंडिया चेंजेज़ ( INDIA CHANGES ) ने इस प्रकरण में देश की नब्ज जानने की कोशिश की हैै़़़़ ़़़देश। के समस्त प्रधान , पंचायतों के प्रतिनिधि , ग्रामीण जनता 73 वाँ संसोधन लागू कराना चाहती है । इसके लिये समय समय पर आंदोलन भी होते रहते हैं । इसी तरह 74 वाँ संसोधन नगर निकायों के जनता के प्रतिनिधि - पार्षद और महापौर तथा नगरीय जनता लागू कराना चाहती है ।
आइए जनभावनाओं के अनुरूप देश की समस्त जनता की भलाई के लिये बिना किसी और विलम्ब के उक्त दोनों संसोधनों को पूर्ण निष्ठा से लागू करें। हम यह भी माँग करते हैं कि संसद एक संसोधन के द्वारा इन्हें स्वैच्छिक के स्थान पर अनिवार्य कर दे। जनता के इतने महत्वपूर्ण अधिकार राज्य सरकारों के भरोसे न छोड़े जाँय ।
जनता के द्वारा जनता की सरकार के लिये भले ही देशव्यापी आंदोलन क्यों न छेड़ना पड़े ।
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ग्राम सरकार और नगर सरकार
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(3) ग्राम सरकार और नगर सरकार ़़़़ 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संशोधन लागू कराना ।
भारत के जनमानस को ध्यान में रख अपनी जनता के सशक्तीकरण के लिये कभी देश की संसद ने बड़े उत्साह और राष्ट्र के प्रति पूर्ण निष्ठा की पवित्र भावना से गाँवों और नगरों को अपनी सरकार बनाने के लिये 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संसोधन करते हुये देश कीजनता को है अधिकार दिया। था ।
आज स्थिति यह हैै इतने महत्वपूर्ण संविधान संसोधन हम अभी तक सम्पूर्ण देश में लागू नहीं कर पाये हैं । जिन प्रदेशोंने इन्हें लागू किया है वहाँ के परिणाम बड़े अच्छे , उत्साहवर्धक रहे हैं । परन्तु कुछ प्रदेश इन्हें अपने अधिकारों में हनन समझकर लागू नहीं कर रहे हैं । जिन प्रदेशों में इन्हें लागू नहीं किया गया उनकी स्थिति विकास की दृष्टि से असन्तोषजनक बनी हुयी है ।
देश की आधी जनता ग़रीबी रेखा के नीचे है ,विकास की दौड़ में अत्यन्त पीछे ।जनता की नियम क़ानून बनानें और संसाधनों के विकास में कोई भागीदारी नहीं है ।जबकि उक्त संसोधनों के पीछे जनता जनार्दन को सशक्त बनाने की भावना थी ।
इंडिया चेंजेज़ ( INDIA CHANGES ) ने इस प्रकरण में देश की नब्ज जानने की कोशिश की हैै़़़़ ़़़देश। के समस्त प्रधान , पंचायतों के प्रतिनिधि , ग्रामीण जनता 73 वाँ संसोधन लागू कराना चाहती है । इसके लिये समय समय पर आंदोलन भी होते रहते हैं । इसी तरह 74 वाँ संसोधन नगर निकायों के जनता के प्रतिनिधि - पार्षद और महापौर तथा नगरीय जनता लागू कराना चाहती है ।
आइए जनभावनाओं के अनुरूप देश की समस्त जनता की भलाई के लिये बिना किसी और विलम्ब के उक्त दोनों संसोधनों को पूर्ण निष्ठा से लागू करें। हम यह भी माँग करते हैं कि संसद एक संसोधन के द्वारा इन्हें स्वैच्छिक के स्थान पर अनिवार्य कर दे। जनता के इतने महत्वपूर्ण अधिकार राज्य सरकारों के भरोसे न छोड़े जाँय ।
जनता के द्वारा जनता की सरकार के लिये भले ही देशव्यापी आंदोलन क्यों न छेड़ना पड़े ।
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(3) ग्राम सरकार और नगर सरकार ़़़़ 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संशोधन लागू कराना ।
भारत के जनमानस को ध्यान में रख अपनी जनता के सशक्तीकरण के लिये कभी देश की संसद ने बड़े उत्साह और राष्ट्र के प्रति पूर्ण निष्ठा की पवित्र भावना से गाँवों और नगरों को अपनी सरकार बनाने के लिये 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संसोधन करते हुये देश कीजनता को है अधिकार दिया। था ।
आज स्थिति यह हैै इतने महत्वपूर्ण संविधान संसोधन हम अभी तक सम्पूर्ण देश में लागू नहीं कर पाये हैं । जिन प्रदेशोंने इन्हें लागू किया है वहाँ के परिणाम बड़े अच्छे , उत्साहवर्धक रहे हैं । परन्तु कुछ प्रदेश इन्हें अपने अधिकारों में हनन समझकर लागू नहीं कर रहे हैं । जिन प्रदेशों में इन्हें लागू नहीं किया गया उनकी स्थिति विकास की दृष्टि से असन्तोषजनक बनी हुयी है ।
देश की आधी जनता ग़रीबी रेखा के नीचे है ,विकास की दौड़ में अत्यन्त पीछे ।जनता की नियम क़ानून बनानें और संसाधनों के विकास में कोई भागीदारी नहीं है ।जबकि उक्त संसोधनों के पीछे जनता जनार्दन को सशक्त बनाने की भावना थी ।
इंडिया चेंजेज़ ( INDIA CHANGES ) ने इस प्रकरण में देश की नब्ज जानने की कोशिश की हैै़़़़ ़़़देश। के समस्त प्रधान , पंचायतों के प्रतिनिधि , ग्रामीण जनता 73 वाँ संसोधन लागू कराना चाहती है । इसके लिये समय समय पर आंदोलन भी होते रहते हैं । इसी तरह 74 वाँ संसोधन नगर निकायों के जनता के प्रतिनिधि - पार्षद और महापौर तथा नगरीय जनता लागू कराना चाहती है ।
आइए जनभावनाओं के अनुरूप देश की समस्त जनता की भलाई के लिये बिना किसी और विलम्ब के उक्त दोनों संसोधनों को पूर्ण निष्ठा से लागू करें। हम यह भी माँग करते हैं कि संसद एक संसोधन के द्वारा इन्हें स्वैच्छिक के स्थान पर अनिवार्य कर दे। जनता के इतने महत्वपूर्ण अधिकार राज्य सरकारों के भरोसे न छोड़े जाँय ।
जनता के द्वारा जनता की सरकार के लिये भले ही देशव्यापी आंदोलन क्यों न छेड़ना पड़े ।
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Monday, 20 May 2013
क्या आप रुचि रखते है़??
क्या आप रुचि रखते है़??
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
बदलता भारत (INDIA CHANGES ) विभिन्न क्षेत्रों में 8 जून को सायं 6pm से 9 pm तक एक कैंडिल मार्च का आयोजन कर रहा है । जो भी हमारी विचारधारा का है और समझता है कि जागरूकता के साथ साथ जनसंख्या नियंत्रण के लिये क़ानून बनाने की आवश्यकता है , और हमारी तरह वह भी मानता है कि जनसंख्या से सबसे अधिक पीड़ा ग़रीब को होती है ,अशिक्षा , कुपोषण ,बेरोजगारी ,अपराध से वह ग्रस्त हो जाता है , आइये हमारे साथ देश में जागरूकता लायें और संसद को कहें कि एक सक्षम क़ानून "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम " बनायें ।
जो भी जहाँ है प्रतीक स्वरूप कैंडिल मार्च में भाग ले ।जो व्यक्ति स्वयं कैंडिल मार्च का आयोजन करना चाहे हमें Facebook के माध्यम से बदलता भारत ( India changes) के पेज में अवगत कराये और हमारे मेल indiachanges2012@gmail.com अथवा indiachanges2013@mail.comपर सूचित करे ।
राज कुमार सचान होरी
राष्ट्रीय संयोजक - बदलता भारत ( India changes )
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बदलता भारत (INDIA CHANGES ) विभिन्न क्षेत्रों में 8 जून को सायं 6pm से 9 pm तक एक कैंडिल मार्च का आयोजन कर रहा है । जो भी हमारी विचारधारा का है और समझता है कि जागरूकता के साथ साथ जनसंख्या नियंत्रण के लिये क़ानून बनाने की आवश्यकता है , और हमारी तरह वह भी मानता है कि जनसंख्या से सबसे अधिक पीड़ा ग़रीब को होती है ,अशिक्षा , कुपोषण ,बेरोजगारी ,अपराध से वह ग्रस्त हो जाता है , आइये हमारे साथ देश में जागरूकता लायें और संसद को कहें कि एक सक्षम क़ानून "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम " बनायें ।
जो भी जहाँ है प्रतीक स्वरूप कैंडिल मार्च में भाग ले ।जो व्यक्ति स्वयं कैंडिल मार्च का आयोजन करना चाहे हमें Facebook के माध्यम से बदलता भारत ( India changes) के पेज में अवगत कराये और हमारे मेल indiachanges2012@gmail.com अथवा indiachanges2013@mail.comपर सूचित करे ।
राज कुमार सचान होरी
राष्ट्रीय संयोजक - बदलता भारत ( India changes )
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Saturday, 18 May 2013
देश के राजनैतिक दलों , बुद्धिजीवियों से प्रश्न ???
देश के राजनैतिक दलों , बुद्धिजीवियों से प्रश्न ???
देश में विस्फोटक स्तर तक बढ़ रही जनसंख्या के नियंत्रण के लिये "बदलता भारत "( INDIA CHANGES ) संसद से "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम " बनाने की माँग करता है । आप राष्ट्रीय महत्व के इस बिन्दु का समर्थन करते हैं ? या विरोध ?
समर्थन के लिये लिखें ---हाँ । विरोध के लिये लिखें -नहीं ।
राज कुमार सचान 'होरी'
राष्ट्रीय संयोजक - बदलता भारत (INDIA CHANGES ) www.indiachanges.com ,horibadaltabharat.blogspot.com , horiindiachanges.blogspot.com , indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , facebook.com/pages/India changes , eid ----- indiachanges2012@gmail.com ,indiachanges2013@gmail.com
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देश में विस्फोटक स्तर तक बढ़ रही जनसंख्या के नियंत्रण के लिये "बदलता भारत "( INDIA CHANGES ) संसद से "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम " बनाने की माँग करता है । आप राष्ट्रीय महत्व के इस बिन्दु का समर्थन करते हैं ? या विरोध ?
समर्थन के लिये लिखें ---हाँ । विरोध के लिये लिखें -नहीं ।
राज कुमार सचान 'होरी'
राष्ट्रीय संयोजक - बदलता भारत (INDIA CHANGES ) www.indiachanges.com ,horibadaltabharat.blogspot.com , horiindiachanges.blogspot.com , indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , facebook.com/pages/India changes , eid ----- indiachanges2012@gmail.com ,indiachanges2013@gmail.com
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Friday, 17 May 2013
देश के राजनैतिक दलों , बुद्धिजीवियों से प्रश्न ???
देश के राजनैतिक दलों , बुद्धिजीवियों से प्रश्न ???
देश में विस्फोटक स्तर तक बढ़ रही जनसंख्या के नियंत्रण के लिये "बदलता भारत "( INDIA CHANGES ) संसद से "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम " बनाने की माँग करता है । आप राष्ट्रीय महत्व के इस बिन्दु का समर्थन करते हैं ? या विरोध ?
समर्थन के लिये लिखें ---हाँ । विरोध के लिये लिखें -नहीं ।
राज कुमार सचान 'होरी'
राष्ट्रीय संयोजक - बदलता भारत (INDIA CHANGES ) www.indiachanges.com ,horibadaltabharat.blogspot.com , horiindiachanges.blogspot.com , indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , facebook.com/pages/India changes , eid ----- indiachanges2012@gmail.com ,indiachanges2013@gmail.com
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देश में विस्फोटक स्तर तक बढ़ रही जनसंख्या के नियंत्रण के लिये "बदलता भारत "( INDIA CHANGES ) संसद से "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम " बनाने की माँग करता है । आप राष्ट्रीय महत्व के इस बिन्दु का समर्थन करते हैं ? या विरोध ?
समर्थन के लिये लिखें ---हाँ । विरोध के लिये लिखें -नहीं ।
राज कुमार सचान 'होरी'
राष्ट्रीय संयोजक - बदलता भारत (INDIA CHANGES ) www.indiachanges.com ,horibadaltabharat.blogspot.com , horiindiachanges.blogspot.com , indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , facebook.com/pages/India changes , eid ----- indiachanges2012@gmail.com ,indiachanges2013@gmail.com
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कैंडिल मार्च
कैंडिल मार्च
दिनांक 8 जून 2013 समय 6 सायं से आरम्भ ।
स्थान ------महर्षि बाल्मीकि मंदिर निकट मदर डेरी चौक सेक्टर --5 राजेंद्र नगर से सरदार पटेल पार्क मोहन नगर ।
माँग --- "जनसंख्या नियंत्रण क़ानून " को संसद द्वारा बनाया जाय ।
दिनांक 8 जून शनिवार को सायं 6 बजे से जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के बनाये जाने की माँग के समर्थन में एक कैंडिल मार्च महर्षि बाल्मीकि मंदिर , राजेन्द्र नगर से " बदलता भारत " (INDIA CHANGES ) संगठन द्वारा निकाला जायेगा । यह कैंडिल मार्च विभिन्न स्थानों से होता हुआ 8 बजे सायं पटेल पार्क , मोहन नगर चौराहा पहुँचेगा जहाँ पर इसका समापन होगा ।
आज देश जनसंख्या विस्फोट के मुहाने पर खड़ा है ।जहाँ सौ वर्ष पहले 1901 में भारत की जनसंख्या ( पाकिस्तान और बांग्लादेश को सम्मिलित करते हुये ) 23 करोड़ 80 लाख मात्र थी वहीं 2011 की जनगणना के अनुसार केवल अपने देश की जनसंख्या 125 करोड़ से अधिक है । यह वृद्धि तब है जब परिवार नियोजन और परिवार कल्याण के कार्यक्रम जोर शोर से राज्य और केन्द्र की सरकारों द्वारा चलाये जाते रहे हैं । आज जनसंख्या में हम विश्व में दूसरे स्थान पर हैं और मात्र 8 वर्षों बाद 2021 में हमारा देश पहले स्थान पर पहुँच जायेगा ।
80 करोड़ ग़रीबों का यह देश विश्व में ग़रीबी में सर्वोच्च पाँच स्थानों पर है । कितना शर्मनाक है यह ? यह अन्योन्याश्रित सत्य है कि ग़रीबी से जनसंख्या बढ़ती है और जनसंख्या से ग़रीबी बढ़ती है । यह एक कटु और ऐतिहासिक तथा अर्थशास्त्रीय सत्य है कि जनसंख्या वृद्धि ग़रीबी और ग़रीबों को बढ़ाती है ।किसी भी परिवार और राष्ट्र के आर्थिक संसाधन तो अंकगणितीय अनुपात में बढ़ते हैं जबकि जनसंख्या बीजगणितीय अनुपात में । आज स्थिति यह है कि देश में बहुमुखी विकास के बावजूद ग़रीबी भयानक रूप से बढ़ी है ।
जनसंख्या में बढो़तरी अमीरों के लिये उतनी कष्टकारी नहीं जितनी ग़रीबों के लिये । बच्चे अधिक होने से कुपोषण , अशिक्षा , बीमारी , ग़रीबी , अपराध एक साथ बढ़ते हैं । यह एक भ्रांति है और मिथ्या तथ्य है कि अधिक बच्चे ग़रीब के लिये अधिक काम करने वाले पैदा करते हैं इसलिये उसकी आर्थिक स्थिति सुधरती है । दो हाथों के साथ एक पेट भी तो आता है और उन हाथों के पास कोई संसाधन भी नहीं होते हैं और मात्र मज़दूरी पर आश्रित हो जाने से ग़रीबी साथ नहीं छोड़ती ।अभाव में जीवन और ग़रीब , और अभिशप्त हो जाता है ।
बदलता भारत ने इस समस्या का सांगोपांग अध्ययन किया है और पाया है कि देश के ग़रीबों के हित में जनसंख्या नियंत्रण विशेष रूप से आवश्यक है ।ग़रीबी मिटाने के लिये जनसंख्या नियंत्रित होनी आवश्यक है और इसका नियंत्रण अब बिना क़ानून के नहीं हो सकता । बिना जोर जबरदस्ती और बल प्रयोग के समानरूप से सभी के लिये परिवार नियोजन का एक ही उपाय है इसकेलिये सर्वोच्च संस्था संसद द्वारा एक ऐसा विधान बनाया जाय जो बिना किसी विभेद के समस्त भारतीय नागरिकों पर लागू हो । क़ानून की धारायें सख्त हों और उनके उल्लंघन पर कड़े प्रावधान हों । चीन से इस संबंध में बहुत कुछ सीखा जा सकता है ।
जनसंख्या बढ़ने से अशिक्षा , ग़रीबी बढ़ने से अपराधों में वृद्धि होती है । माँग और आपूर्ति में भारी अन्तर से आर्थिक भ्रष्टाचार बढ़ता है । शहरों में चारों ओर जाम और रेलों और बसों में लम्बी लम्बी वेटिंग क्या है ? एक दिन ये सारे शहर मात्र पैदल चलने लायक ही बचेंगे । दिल्ली और अन्य नगरों में नारियों के प्रति अपराध और बलात्कार क्या हैं ? ग़रीबों ,अशिक्षितों की फौजें तैयार हो गयी है़ जो न तो क़ानून जानती हैं और उनके पास संस्कार सीखने का न तो अवसर है न सुविधायें । जनसंख्या नियंत्रण से इन क्षेत्रोंमे भी सुधार होगा निश्चित ही ।
सम्पूर्ण देश में समस्त समान विचारधारा के संगठनों के साथ मिल कर जगह जगह सभाओं , रैलियों के द्वारा जागरूकता पैदा करने का कार्य बदलता भारत करेगा और आवश्यकता पड़ने पर बड़ा आन्दोलन भी खड़ा करेगा जब तक समस्त समस्याओं की जड़ जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिये कोई सशक्त क़ानून न बन जाय । देश के समस्त तालों की चाभी " जनसंख्या नियंत्रण क़ानून " है । आइये इसके लिये , राष्ट्र के लिये और ग़रीबों के लिये वातावरण बनायें ।
8जून के कैंडिल मार्च का नेतृत्व श्री राज कुमार सचान 'होरी' करेंगे । इसका संयोजन बदलता भारत की ग़ाज़ियाबाद इकाई द्वारा किया जा रहा है ।श्री विकास चौधरी मंडलीय संयोजक और ग़ाज़ियाबाद प्रवक्ता श्री सूर्यप्रकाश शर्मा की देखरेख में आयोजन किया जा रहा है । राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री शीतला शंकर विजय मिश्र , प्रसिद्ध कवि पं सुरेश नीरव राष्ट्रीय प्रवक्ता , मीडिया प्रभारी श्री कुलदीप सिंह राजपूत , श्री कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी , श्री जी एस त्यागी , श्री रोहित राज सचान एडवोकेट तथा अन्य अनेक महत्वपूर्ण व्यक्तियों द्वारा भाग लिया जायेगा ।
आप समस्त से अनुरोध है कि इस मार्च में भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बनायें ।
बदलता भारत (INDIA CHANGES )
Eid -indiachanges2012@gmail.com , indiachanges2013@gmail.com
www.indiachanges.com , horiindiachanges.blogspot.com , horibadaltabharat.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , Facebook.com/pages/India-changes
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दिनांक 8 जून 2013 समय 6 सायं से आरम्भ ।
स्थान ------महर्षि बाल्मीकि मंदिर निकट मदर डेरी चौक सेक्टर --5 राजेंद्र नगर से सरदार पटेल पार्क मोहन नगर ।
माँग --- "जनसंख्या नियंत्रण क़ानून " को संसद द्वारा बनाया जाय ।
दिनांक 8 जून शनिवार को सायं 6 बजे से जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के बनाये जाने की माँग के समर्थन में एक कैंडिल मार्च महर्षि बाल्मीकि मंदिर , राजेन्द्र नगर से " बदलता भारत " (INDIA CHANGES ) संगठन द्वारा निकाला जायेगा । यह कैंडिल मार्च विभिन्न स्थानों से होता हुआ 8 बजे सायं पटेल पार्क , मोहन नगर चौराहा पहुँचेगा जहाँ पर इसका समापन होगा ।
आज देश जनसंख्या विस्फोट के मुहाने पर खड़ा है ।जहाँ सौ वर्ष पहले 1901 में भारत की जनसंख्या ( पाकिस्तान और बांग्लादेश को सम्मिलित करते हुये ) 23 करोड़ 80 लाख मात्र थी वहीं 2011 की जनगणना के अनुसार केवल अपने देश की जनसंख्या 125 करोड़ से अधिक है । यह वृद्धि तब है जब परिवार नियोजन और परिवार कल्याण के कार्यक्रम जोर शोर से राज्य और केन्द्र की सरकारों द्वारा चलाये जाते रहे हैं । आज जनसंख्या में हम विश्व में दूसरे स्थान पर हैं और मात्र 8 वर्षों बाद 2021 में हमारा देश पहले स्थान पर पहुँच जायेगा ।
80 करोड़ ग़रीबों का यह देश विश्व में ग़रीबी में सर्वोच्च पाँच स्थानों पर है । कितना शर्मनाक है यह ? यह अन्योन्याश्रित सत्य है कि ग़रीबी से जनसंख्या बढ़ती है और जनसंख्या से ग़रीबी बढ़ती है । यह एक कटु और ऐतिहासिक तथा अर्थशास्त्रीय सत्य है कि जनसंख्या वृद्धि ग़रीबी और ग़रीबों को बढ़ाती है ।किसी भी परिवार और राष्ट्र के आर्थिक संसाधन तो अंकगणितीय अनुपात में बढ़ते हैं जबकि जनसंख्या बीजगणितीय अनुपात में । आज स्थिति यह है कि देश में बहुमुखी विकास के बावजूद ग़रीबी भयानक रूप से बढ़ी है ।
जनसंख्या में बढो़तरी अमीरों के लिये उतनी कष्टकारी नहीं जितनी ग़रीबों के लिये । बच्चे अधिक होने से कुपोषण , अशिक्षा , बीमारी , ग़रीबी , अपराध एक साथ बढ़ते हैं । यह एक भ्रांति है और मिथ्या तथ्य है कि अधिक बच्चे ग़रीब के लिये अधिक काम करने वाले पैदा करते हैं इसलिये उसकी आर्थिक स्थिति सुधरती है । दो हाथों के साथ एक पेट भी तो आता है और उन हाथों के पास कोई संसाधन भी नहीं होते हैं और मात्र मज़दूरी पर आश्रित हो जाने से ग़रीबी साथ नहीं छोड़ती ।अभाव में जीवन और ग़रीब , और अभिशप्त हो जाता है ।
बदलता भारत ने इस समस्या का सांगोपांग अध्ययन किया है और पाया है कि देश के ग़रीबों के हित में जनसंख्या नियंत्रण विशेष रूप से आवश्यक है ।ग़रीबी मिटाने के लिये जनसंख्या नियंत्रित होनी आवश्यक है और इसका नियंत्रण अब बिना क़ानून के नहीं हो सकता । बिना जोर जबरदस्ती और बल प्रयोग के समानरूप से सभी के लिये परिवार नियोजन का एक ही उपाय है इसकेलिये सर्वोच्च संस्था संसद द्वारा एक ऐसा विधान बनाया जाय जो बिना किसी विभेद के समस्त भारतीय नागरिकों पर लागू हो । क़ानून की धारायें सख्त हों और उनके उल्लंघन पर कड़े प्रावधान हों । चीन से इस संबंध में बहुत कुछ सीखा जा सकता है ।
जनसंख्या बढ़ने से अशिक्षा , ग़रीबी बढ़ने से अपराधों में वृद्धि होती है । माँग और आपूर्ति में भारी अन्तर से आर्थिक भ्रष्टाचार बढ़ता है । शहरों में चारों ओर जाम और रेलों और बसों में लम्बी लम्बी वेटिंग क्या है ? एक दिन ये सारे शहर मात्र पैदल चलने लायक ही बचेंगे । दिल्ली और अन्य नगरों में नारियों के प्रति अपराध और बलात्कार क्या हैं ? ग़रीबों ,अशिक्षितों की फौजें तैयार हो गयी है़ जो न तो क़ानून जानती हैं और उनके पास संस्कार सीखने का न तो अवसर है न सुविधायें । जनसंख्या नियंत्रण से इन क्षेत्रोंमे भी सुधार होगा निश्चित ही ।
सम्पूर्ण देश में समस्त समान विचारधारा के संगठनों के साथ मिल कर जगह जगह सभाओं , रैलियों के द्वारा जागरूकता पैदा करने का कार्य बदलता भारत करेगा और आवश्यकता पड़ने पर बड़ा आन्दोलन भी खड़ा करेगा जब तक समस्त समस्याओं की जड़ जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिये कोई सशक्त क़ानून न बन जाय । देश के समस्त तालों की चाभी " जनसंख्या नियंत्रण क़ानून " है । आइये इसके लिये , राष्ट्र के लिये और ग़रीबों के लिये वातावरण बनायें ।
8जून के कैंडिल मार्च का नेतृत्व श्री राज कुमार सचान 'होरी' करेंगे । इसका संयोजन बदलता भारत की ग़ाज़ियाबाद इकाई द्वारा किया जा रहा है ।श्री विकास चौधरी मंडलीय संयोजक और ग़ाज़ियाबाद प्रवक्ता श्री सूर्यप्रकाश शर्मा की देखरेख में आयोजन किया जा रहा है । राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री शीतला शंकर विजय मिश्र , प्रसिद्ध कवि पं सुरेश नीरव राष्ट्रीय प्रवक्ता , मीडिया प्रभारी श्री कुलदीप सिंह राजपूत , श्री कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी , श्री जी एस त्यागी , श्री रोहित राज सचान एडवोकेट तथा अन्य अनेक महत्वपूर्ण व्यक्तियों द्वारा भाग लिया जायेगा ।
आप समस्त से अनुरोध है कि इस मार्च में भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बनायें ।
बदलता भारत (INDIA CHANGES )
Eid -indiachanges2012@gmail.com , indiachanges2013@gmail.com
www.indiachanges.com , horiindiachanges.blogspot.com , horibadaltabharat.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , Facebook.com/pages/India-changes
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Wednesday, 15 May 2013
ओउम् नम: शिवाय
ओउम् नम: शिवाय
(होरी काव्य सागर )
(छन्द)--6
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
अल्ला भगवन गाड कहो सब ,
एक बात है भाई ।
एक धर्म है एक जाति है ,
मानव कहाँ लड़ाई ?
धरती आसमान जो बाँटे ,
वह है कुर्सी माई ।
मन्दिर मस्जिद गिरजाघर,
गुरुद््वारा रही लड़ाय ।
ओउम् नम: शिवाय , ओउम् नम: शिवाय ।।
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राज कुमार सचान होरी
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(होरी काव्य सागर )
(छन्द)--6
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अल्ला भगवन गाड कहो सब ,
एक बात है भाई ।
एक धर्म है एक जाति है ,
मानव कहाँ लड़ाई ?
धरती आसमान जो बाँटे ,
वह है कुर्सी माई ।
मन्दिर मस्जिद गिरजाघर,
गुरुद््वारा रही लड़ाय ।
ओउम् नम: शिवाय , ओउम् नम: शिवाय ।।
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राज कुमार सचान होरी
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Tuesday, 14 May 2013
ओउम् नम: शिवाय
ओउम् नम: शिवाय
( होरी काव्य सागर )
(छन्द )-5
कभी ग़रीबी , कभी अशिक्षा , कभी धर्म की आड़ ।
जनसंख्या के हम नित नित , करते खड़े पहाड़ ।।
भगवान की देन हैं बच्चे कह पुनः शुरू हो जाते ।
बच्चे जनने की मशीन को निश दिन रहे चलाय ।।
ओउम् नम: शिवाय , ओउम् नम: शिवाय ।।
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( होरी काव्य सागर )
(छन्द )-5
कभी ग़रीबी , कभी अशिक्षा , कभी धर्म की आड़ ।
जनसंख्या के हम नित नित , करते खड़े पहाड़ ।।
भगवान की देन हैं बच्चे कह पुनः शुरू हो जाते ।
बच्चे जनने की मशीन को निश दिन रहे चलाय ।।
ओउम् नम: शिवाय , ओउम् नम: शिवाय ।।
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Monday, 13 May 2013
ओउम् नम: शिवाय
ओउम् नम: शिवाय
(होरी काव्य सागर से )
( छन्द)-4
देश में बढ़ती जाती दिन दिन हिजड़ों की नव टोली ।
हाव भाव हम उनके सीखे ,सीख गये हैं बोली ।।
गंभीर समस्याओं के हल में बजा रहे हैं ताली ।
और उन्हीं की भाँति निकालें मुख से आय हाय ।।
ओउम् नम: शिवाय , ओउम् नम: शिवाय ।।
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान 'होरी'
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(होरी काव्य सागर से )
( छन्द)-4
देश में बढ़ती जाती दिन दिन हिजड़ों की नव टोली ।
हाव भाव हम उनके सीखे ,सीख गये हैं बोली ।।
गंभीर समस्याओं के हल में बजा रहे हैं ताली ।
और उन्हीं की भाँति निकालें मुख से आय हाय ।।
ओउम् नम: शिवाय , ओउम् नम: शिवाय ।।
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान 'होरी'
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Sunday, 12 May 2013
माँ
माँ
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
मातृ दिवस --मदर्स डे पर
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
माँ से बढ़ कर कौन यहाँ है ।
माँ से बढ़ कर केवल माँ है ।
---------------------------
होंगे सब के पास बहुत कुछ ,
मेरे ढिग तो केवल माँ है ।
---------------------------
दुनिया भर में घूमूं क्यों ,
माँ चरणों सम्पूर्ण जहाँ है ।
--------------------------
बाकी के तो ठौर ठिकाने ,
माँ ही केवल। यहाँ वहाँ है ।
------------------------
घुप अंधेरे में बस माँ ही ,
"होरी" जैसे एक शमां है ।
@@@@@@@@@@@@@@@@
राज कुमार सचान होरी
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०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
मातृ दिवस --मदर्स डे पर
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
माँ से बढ़ कर कौन यहाँ है ।
माँ से बढ़ कर केवल माँ है ।
---------------------------
होंगे सब के पास बहुत कुछ ,
मेरे ढिग तो केवल माँ है ।
---------------------------
दुनिया भर में घूमूं क्यों ,
माँ चरणों सम्पूर्ण जहाँ है ।
--------------------------
बाकी के तो ठौर ठिकाने ,
माँ ही केवल। यहाँ वहाँ है ।
------------------------
घुप अंधेरे में बस माँ ही ,
"होरी" जैसे एक शमां है ।
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राज कुमार सचान होरी
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Saturday, 11 May 2013
ओउम् नम: शिवाय
ओउम् नम: शिवाय
( होरी काव्य सागर )
(छन्द )-3
कभी ग़रीबी , कभी अशिक्षा , कभी धर्म की आड़ ।
जनसंख्या के हम नित नित , करते खड़े पहाड़ ।।
भगवान की देन हैं बच्चे कह पुनः शुरू हो जाते ।
बच्चे जनने की मशीन को निश दिन रहे चलाय ।।
ओउम् नम: शिवाय , ओउम् नम: शिवाय ।।
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( होरी काव्य सागर )
(छन्द )-3
कभी ग़रीबी , कभी अशिक्षा , कभी धर्म की आड़ ।
जनसंख्या के हम नित नित , करते खड़े पहाड़ ।।
भगवान की देन हैं बच्चे कह पुनः शुरू हो जाते ।
बच्चे जनने की मशीन को निश दिन रहे चलाय ।।
ओउम् नम: शिवाय , ओउम् नम: शिवाय ।।
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Tuesday, 7 May 2013
Fwd: बदलता भारत के दोहे
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Begin forwarded message:
From: Rajkumar sachan <horirajkumar@gmail.com>
Date: 27 April 2013 11:27:21 AM GMT+05:30
Subject: बदलता भारत के दोहे
बदलता भारत के दोहे***********************************************(१)परिवर्तन की लीजिये , सदा श्वंास प्रश्वांस ।बदलेगा भारत कभी, यही आश विश्वास ।।(२) भारत को बदलो ,उठो ,चलो हमारे साथ ।होरी बढ़ो , बढ़ो ,बढ़ो ,लिये हाथ में हाथ ।।(३) जनसंख्या इस भाँति ,यदि, बढ़ी और श्रीमान ।मेले से बन जायेंगे , सारे नगर सचान ।।(४) भारत में होगा कभी , जनसंख्या विस्फोट ।
Monday, 6 May 2013
मुक्तक -------
मुक्तक -------
०००००००००००००००००००००००००००००००००
१- ब्रह्म हूं मैं , जानता हूं ।
ब्रह्म तुम भी ,मानता हूं ।।
ब्रह्म ही है तत्व जो ,
अक्षर रहेगा, जानता हूं ।।
२- आइये हम साथ हों , भारत बदलने के लिये ,
आमजन के हेतु हम ,कुछ तो करें , कुछ भी करें ।
हाथ में ले हाथ , हम बढ़ते रहें , बढ़ते रहें ,
मोतियों से देश की होरी सदा झोली भरें ।।
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०००००००००००००००००००००००००००००००००
१- ब्रह्म हूं मैं , जानता हूं ।
ब्रह्म तुम भी ,मानता हूं ।।
ब्रह्म ही है तत्व जो ,
अक्षर रहेगा, जानता हूं ।।
२- आइये हम साथ हों , भारत बदलने के लिये ,
आमजन के हेतु हम ,कुछ तो करें , कुछ भी करें ।
हाथ में ले हाथ , हम बढ़ते रहें , बढ़ते रहें ,
मोतियों से देश की होरी सदा झोली भरें ।।
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Saturday, 4 May 2013
1 /नरेगा को कृषि से पूर्ण रूप से जोड़ना
1 /नरेगा को कृषि से पूर्ण रूप से जोड़ना
गत तीन वर्षों में नरेगा में काम कम हो जाने के कारण भारत सरकार और प्रदेश सरकारों से इस योजना में धन आवंटन लगातार कम होता जा रहा है । इससे नरेगा योजना के सामने ही गंभीर संकट खड़ा हो गया है । नरेगा के अंतर्गत आने वाले कार्यों की संख्या घटते जाने के कारण जहाँ एक ओर काम कम मिल रहे हैं वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार तेज़ी से बढ रहा है। काम कम होते जाने के कारण जहाँ एक ओर ईमानदार प्रधान और अधिकारी व कर्मचारी नरेगा से दूर भाग रहे हैं वहीं बेइमान अधिकारी,कर्मचारी व प्रधान भ्रष्टाचार में आकंठ डूब गये हैं ।
एक ओर तो मज़दूर और मज़दूरी के सामने गंभीर संकट तो दूसरी ओर किसान परेशान । नरेगा के बाद से गाँवों में मज़दूरी की दरों में व्रद्धि होने से किसानों को खेती में लागत अधिक लगानी पड रही है और मज़दूर भी समय से नहीं मिल पा रहे हैं। धीरे धीरे जो किसान खाद बीज पानी दवाओं की बढ़ती कीमतों से पहले ही परेशान था , मज़दूरी में व्रद्धि से और टूटने लगा । पूरे देश में लघु और सीमांत (छोटे किसान ) किसान तो बड़ी संख्या में खेती ही छोड़ने लगे ।। आज देश में अज़ीब स्थिति है मज़दूर और किसान दोनों बेहद परेशान ।
इंडिया चेंज़ेज़ ( India Changes ) ने अपनें राष्ट्रीय संयोज़क प्रसिद्ध साहित्यकार और समाजसेवी श्री राज कुमार सचान 'होरी' के प्रशासनिक और सामाजिक अनुभवों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि उक्त दोनों गंभीर समस्यायों का एकमात्र हल है ...........
"नरेगा का कृषि से पूर्ण सम्बद्धीकरण ।"
इसे गहराई से समझना आवश्यक है ... खेती का कोई भी कार्य हो कृषि,उद्या़न अथवा वानिकी(forestry) या खेती से संबंधित अन्य कार्य जो उत्पादन से जुड़े हों में मज़दूर नरेगा से दिये जाँय और उनकी मज़दूरी किसान के बजा़य नरेगा योजना से मिले । इस प्रकार किसानों को मज़दूर बिना किसी लागत के साल भर लगातार उपलब्ध होंगे जिससे उसकी फसलों की लागत कम होगी और खेती घाटे के स्थान पर लाभकारी बन सकेगी ।किसान मज़दूर और मज़दूरी से मुक्त होकर पूरा ध्यान खेती में लगा सकेगा । कृषि उत्पादन भी निश्चित रूप से बढ़ेगा ।देश में खाद्यान्न का आसन्न संकट भी टल जायेगा । कृषि उत्पादन में लागत कम होने से खाद्यानों की कीमत में भी कमी आयेगी जिससे आम उपभोक्ता को फ़ायदा होगा ।
कृषि सदियों से चले आने वाला व्यवसाय है जो भविष्य में भी चलता रहेगा , इसलिये इससे पूर्ण सम्बद्ध होने पर नरेगा योजना को भी सदैव जीवित रखा जा सकेगा । मज़दूर को काम पहले से बहुत अधिक मात्रा में लगातार मिलता रहेगा । यहाँ यह शर्त है कि किसान में लघु , सीमांत और बड़े सभी सम्मिलित हों तभी इसका पूर्ण अर्थ भी है ।
देश के ७० प्रतिशत किसान और ग्रामीण मज़दूर दोनों एक साथ खुशहाल होंगे और एक और लाभ साथ ही साथ होगा ़़़़गांवों में किसान-मज़दूर के मध्य भाईचारा बढ़ेगा जो नरेगा के लागू होने के बाद से सबसे निम्न स्तर पर पहुँच गया है ।
आइए हम मिल कर इसे सम्पूर्ण देश में लागू करायें । देश विशेषकर ग्रामीण विकास के लिये ।
@ INDIA CHANGES
eid .... indiachanges2012@gmail.com & indiachanges2013@gmail.com & horiindiachanges @gmail.com & web: indiachanges.com
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गत तीन वर्षों में नरेगा में काम कम हो जाने के कारण भारत सरकार और प्रदेश सरकारों से इस योजना में धन आवंटन लगातार कम होता जा रहा है । इससे नरेगा योजना के सामने ही गंभीर संकट खड़ा हो गया है । नरेगा के अंतर्गत आने वाले कार्यों की संख्या घटते जाने के कारण जहाँ एक ओर काम कम मिल रहे हैं वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार तेज़ी से बढ रहा है। काम कम होते जाने के कारण जहाँ एक ओर ईमानदार प्रधान और अधिकारी व कर्मचारी नरेगा से दूर भाग रहे हैं वहीं बेइमान अधिकारी,कर्मचारी व प्रधान भ्रष्टाचार में आकंठ डूब गये हैं ।
एक ओर तो मज़दूर और मज़दूरी के सामने गंभीर संकट तो दूसरी ओर किसान परेशान । नरेगा के बाद से गाँवों में मज़दूरी की दरों में व्रद्धि होने से किसानों को खेती में लागत अधिक लगानी पड रही है और मज़दूर भी समय से नहीं मिल पा रहे हैं। धीरे धीरे जो किसान खाद बीज पानी दवाओं की बढ़ती कीमतों से पहले ही परेशान था , मज़दूरी में व्रद्धि से और टूटने लगा । पूरे देश में लघु और सीमांत (छोटे किसान ) किसान तो बड़ी संख्या में खेती ही छोड़ने लगे ।। आज देश में अज़ीब स्थिति है मज़दूर और किसान दोनों बेहद परेशान ।
इंडिया चेंज़ेज़ ( India Changes ) ने अपनें राष्ट्रीय संयोज़क प्रसिद्ध साहित्यकार और समाजसेवी श्री राज कुमार सचान 'होरी' के प्रशासनिक और सामाजिक अनुभवों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि उक्त दोनों गंभीर समस्यायों का एकमात्र हल है ...........
"नरेगा का कृषि से पूर्ण सम्बद्धीकरण ।"
इसे गहराई से समझना आवश्यक है ... खेती का कोई भी कार्य हो कृषि,उद्या़न अथवा वानिकी(forestry) या खेती से संबंधित अन्य कार्य जो उत्पादन से जुड़े हों में मज़दूर नरेगा से दिये जाँय और उनकी मज़दूरी किसान के बजा़य नरेगा योजना से मिले । इस प्रकार किसानों को मज़दूर बिना किसी लागत के साल भर लगातार उपलब्ध होंगे जिससे उसकी फसलों की लागत कम होगी और खेती घाटे के स्थान पर लाभकारी बन सकेगी ।किसान मज़दूर और मज़दूरी से मुक्त होकर पूरा ध्यान खेती में लगा सकेगा । कृषि उत्पादन भी निश्चित रूप से बढ़ेगा ।देश में खाद्यान्न का आसन्न संकट भी टल जायेगा । कृषि उत्पादन में लागत कम होने से खाद्यानों की कीमत में भी कमी आयेगी जिससे आम उपभोक्ता को फ़ायदा होगा ।
कृषि सदियों से चले आने वाला व्यवसाय है जो भविष्य में भी चलता रहेगा , इसलिये इससे पूर्ण सम्बद्ध होने पर नरेगा योजना को भी सदैव जीवित रखा जा सकेगा । मज़दूर को काम पहले से बहुत अधिक मात्रा में लगातार मिलता रहेगा । यहाँ यह शर्त है कि किसान में लघु , सीमांत और बड़े सभी सम्मिलित हों तभी इसका पूर्ण अर्थ भी है ।
देश के ७० प्रतिशत किसान और ग्रामीण मज़दूर दोनों एक साथ खुशहाल होंगे और एक और लाभ साथ ही साथ होगा ़़़़गांवों में किसान-मज़दूर के मध्य भाईचारा बढ़ेगा जो नरेगा के लागू होने के बाद से सबसे निम्न स्तर पर पहुँच गया है ।
आइए हम मिल कर इसे सम्पूर्ण देश में लागू करायें । देश विशेषकर ग्रामीण विकास के लिये ।
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5 अस्पृश्ता निवारण और सामाजिक समरसता
5 अस्पृश्ता निवारण और सामाजिक समरसता
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इस देश का ऐतिहासिक कटु सत्य है ़़़़जातियां और जातियाँ ।जातियों के अन्दर जातियाँ । जातियों के बाहर जातियाँ । इनमें कोयी ऊँचा तो कोयी नीचा । छुआछूत अभी तक जारी । विवाह ,भोजन में पृथक पृथक । यहाँ तक धर्म परिवर्तन के पश्चात भी जातियाँ विद्यमान हैं और उनमें छोटी बड़ी सभी ।
देश का बड़ा दुर्भाग्य है कि इन असंख्य जातियों के कारण अस्पृश्ता बनी हुयी है और सामाजिक समरसता अन्त्यन्त क्षीण है । कभी धर्म के कारण तो कभी जातियों के कारण समाज में एकता नहीं आ पाती , राष्ट्र वाद की भीषण कमी है ।
इस देश को जिसने भी जाना समझा उसने सबसे पहले अछूत (अस्पृश्य ) को गले लगाया ़़़़़गांधी को ही देख लीजिये हमेंशा अछूतोद्धार के लिये कार्य किया ।
आइए देश की इस घृणित कुरीति को हमेशा के लिये जड़ से उखाड़ फेंकने और जातियो के अन्तर को मिटाने के लिये हमारे साथ आयें । कंधा से कंधा मिलायें । इंडिया चेंजेज़ के साथ आयें । प्रत्येक शुबह की शुरुआत किसी अछूत समझे जाने वाले परिवार के घर प्रात:भोजन से करें, दोपहर एक मज़दूर के यहाँ भोजन और रात एक किसान के घर भोजन , यह हमारी पद्धति है समरसता की ।
अगर गाँव और शहर गंदे हों ,सफाई न हो तो वहाँ के रहने वाले कैसे स्वच्छ रहेंगे ? कैसे स्वस्थ रहेंगे ? पर आज भी स्थिति बनी हुई है कि सभी जगह भारी गंदगी है और सफाई करने वालों की भारी कमी । जनसंख्या के मानकों के अनुसार सफाई कर्मियों की शीघ्र भर्ती आवश्यक है वह भी केवल सफाईकर्मी परिवारों से, यह हमारी महत्वपूर्ण माँग है ।
हमारी माँग है, अंतर्जातीय विवाहों को बढ़ावा देना ।ऐसा करने वालों को सम्मानित करना ।
इंडिया चेंजे़ज़ ( INDIA CHANGES )
www.indiachanges.com , horiindiachanges.blogspot.com ,horibadaltabharat.blogspot.com
Eid -indiachanges2013@gmail.com
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इस देश का ऐतिहासिक कटु सत्य है ़़़़जातियां और जातियाँ ।जातियों के अन्दर जातियाँ । जातियों के बाहर जातियाँ । इनमें कोयी ऊँचा तो कोयी नीचा । छुआछूत अभी तक जारी । विवाह ,भोजन में पृथक पृथक । यहाँ तक धर्म परिवर्तन के पश्चात भी जातियाँ विद्यमान हैं और उनमें छोटी बड़ी सभी ।
देश का बड़ा दुर्भाग्य है कि इन असंख्य जातियों के कारण अस्पृश्ता बनी हुयी है और सामाजिक समरसता अन्त्यन्त क्षीण है । कभी धर्म के कारण तो कभी जातियों के कारण समाज में एकता नहीं आ पाती , राष्ट्र वाद की भीषण कमी है ।
इस देश को जिसने भी जाना समझा उसने सबसे पहले अछूत (अस्पृश्य ) को गले लगाया ़़़़़गांधी को ही देख लीजिये हमेंशा अछूतोद्धार के लिये कार्य किया ।
आइए देश की इस घृणित कुरीति को हमेशा के लिये जड़ से उखाड़ फेंकने और जातियो के अन्तर को मिटाने के लिये हमारे साथ आयें । कंधा से कंधा मिलायें । इंडिया चेंजेज़ के साथ आयें । प्रत्येक शुबह की शुरुआत किसी अछूत समझे जाने वाले परिवार के घर प्रात:भोजन से करें, दोपहर एक मज़दूर के यहाँ भोजन और रात एक किसान के घर भोजन , यह हमारी पद्धति है समरसता की ।
अगर गाँव और शहर गंदे हों ,सफाई न हो तो वहाँ के रहने वाले कैसे स्वच्छ रहेंगे ? कैसे स्वस्थ रहेंगे ? पर आज भी स्थिति बनी हुई है कि सभी जगह भारी गंदगी है और सफाई करने वालों की भारी कमी । जनसंख्या के मानकों के अनुसार सफाई कर्मियों की शीघ्र भर्ती आवश्यक है वह भी केवल सफाईकर्मी परिवारों से, यह हमारी महत्वपूर्ण माँग है ।
हमारी माँग है, अंतर्जातीय विवाहों को बढ़ावा देना ।ऐसा करने वालों को सम्मानित करना ।
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दो दिवसीय उपवास ( अनशन ) ,धरनास्थल, दारुल सफा,लखनऊ
दो दिवसीय उपवास ( अनशन ) ,धरनास्थल, दारुल सफा,लखनऊ
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दिनांक एक मई को मज़दूर दिवस पर INDIA CHANGES (बदलता भारत ) तथा अर्जक साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय उपवास और धरना प्रदेश स्तर पर किया गया , जिसका नेतृत्व दोनो संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष ,प्रसिद्ध कवि , साहित्यकार , समाजसेवी एवं प्रखर वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने किया ।
चौदह सूत्री ज्ञापन धरना स्थल पर आकर अपर नगर मजिस्ट्रेट ने लिया ।इस अवसर पर भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया । मुख्य वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने संचालन करते हुये कहा कि बुद्धिजीवी को राजनीति में आना ही होगा अन्यथा देश में परिवर्तन नहीं होगा । अब भारत बदल रहा है , उसमें मौलिक परिवर्तन के लिये सृजन करना होगा । कलम उठाना होगा , देश की पिछड़ी जातियाँ लेखन से दूर होने के कारण और पिछड़ गईं ।दलित जातियों ने भी कोई लेखक , कवि पैदा करनें में संगठित प्रयास नहीं किये । दोनो ने उच्च जातियों से वैमनस्य का पाठ ही पढ़ा । बुद्ध , अम्बेडकर , लोहिया , राम स्वरूप वर्मा के बौद्धिक कार्यों को इनके ही अनुयायियों नें नहीं माना ।
होरी ने सम्बोधन में कहा कि आइये अब चाणक्य बनिये , वशिष्ठ बनिये । रानीतिक के साथ साथ साहित्यिक , धार्मिक सत्ता प्राप्त करना आवश्यक है ।अन्य वक्ताओं में इंडिया चेंजेज़ के प्रदेश संयोजक श्री हरिपाल सिंह , राष्ट्रीय अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री अखिलेश कटियार , प्रदेश अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री केदार सचान , श्री नत्थूलाल सचान कानपुर, श्री फूल चंद्र चौधरी , मीडिया प्रभारी बदलता भारत श्री रिज़वान चंचल , श्री जंग बहादुर पटेल बाराबंकी , सत्येंद्र पटेल फ़तेहपुर , जगदीश्वर पटेल लखनऊ ,श्री अशोक पटेल महाराजगंज , प्रियंका कटियार प्रदेश महिला अध्यक्ष शोषित समाज दल , राजेश सचान आदि मुख्य रहे ।
सम्पूर्ण देश में बदलता भारत के द्वारा लगातार अभियान चलाये जा रहे हैं । आप आयें ----
देश की माटी बुलाती है तुम्हें ,
आओ उठकर राष्ट्र ध्वज को थाम लो ।
धर्म और जातियों का भाव तज ,
प्यारों बेटो , भारत माँ का नाम लो । (होरी )
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दिनांक एक मई को मज़दूर दिवस पर INDIA CHANGES (बदलता भारत ) तथा अर्जक साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय उपवास और धरना प्रदेश स्तर पर किया गया , जिसका नेतृत्व दोनो संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष ,प्रसिद्ध कवि , साहित्यकार , समाजसेवी एवं प्रखर वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने किया ।
चौदह सूत्री ज्ञापन धरना स्थल पर आकर अपर नगर मजिस्ट्रेट ने लिया ।इस अवसर पर भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया । मुख्य वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने संचालन करते हुये कहा कि बुद्धिजीवी को राजनीति में आना ही होगा अन्यथा देश में परिवर्तन नहीं होगा । अब भारत बदल रहा है , उसमें मौलिक परिवर्तन के लिये सृजन करना होगा । कलम उठाना होगा , देश की पिछड़ी जातियाँ लेखन से दूर होने के कारण और पिछड़ गईं ।दलित जातियों ने भी कोई लेखक , कवि पैदा करनें में संगठित प्रयास नहीं किये । दोनो ने उच्च जातियों से वैमनस्य का पाठ ही पढ़ा । बुद्ध , अम्बेडकर , लोहिया , राम स्वरूप वर्मा के बौद्धिक कार्यों को इनके ही अनुयायियों नें नहीं माना ।
होरी ने सम्बोधन में कहा कि आइये अब चाणक्य बनिये , वशिष्ठ बनिये । रानीतिक के साथ साथ साहित्यिक , धार्मिक सत्ता प्राप्त करना आवश्यक है ।अन्य वक्ताओं में इंडिया चेंजेज़ के प्रदेश संयोजक श्री हरिपाल सिंह , राष्ट्रीय अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री अखिलेश कटियार , प्रदेश अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री केदार सचान , श्री नत्थूलाल सचान कानपुर, श्री फूल चंद्र चौधरी , मीडिया प्रभारी बदलता भारत श्री रिज़वान चंचल , श्री जंग बहादुर पटेल बाराबंकी , सत्येंद्र पटेल फ़तेहपुर , जगदीश्वर पटेल लखनऊ ,श्री अशोक पटेल महाराजगंज , प्रियंका कटियार प्रदेश महिला अध्यक्ष शोषित समाज दल , राजेश सचान आदि मुख्य रहे ।
सम्पूर्ण देश में बदलता भारत के द्वारा लगातार अभियान चलाये जा रहे हैं । आप आयें ----
देश की माटी बुलाती है तुम्हें ,
आओ उठकर राष्ट्र ध्वज को थाम लो ।
धर्म और जातियों का भाव तज ,
प्यारों बेटो , भारत माँ का नाम लो । (होरी )
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Friday, 3 May 2013
दो दिवसीय उपवास ( अनशन ) ,धरनास्थल, दारुल सफा,लखनऊ
दो दिवसीय उपवास ( अनशन ) ,धरनास्थल, दारुल सफा,लखनऊ
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आज दिनांक एक मई को मज़दूर दिवस पर INDIA CHANGES (बदलता भारत ) तथा अर्जक साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय उपवास और धरना प्रदेश स्तर पर किया गया , जिसका नेतृत्व दोनो संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष ,प्रसिद्ध कवि , साहित्यकार , समाजसेवी एवं प्रखर वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने किया ।
चौदह सूत्री ज्ञापन धरना स्थल पर आकर अपर नगर मजिस्ट्रेट ने लिया ।इस अवसर पर भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया । मुख्य वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने संचालन करते हुये कहा कि बुद्धिजीवी को राजनीति में आना ही होगा अन्यथा देश में परिवर्तन नहीं होगा । अब भारत बदल रहा है , उसमें मौलिक परिवर्तन के लिये सृजन करना होगा । कलम उठाना होगा , देश की पिछड़ी जातियाँ लेखन से दूर होने के कारण और पिछड़ गईं ।दलित जातियों ने भी कोई लेखक , कवि पैदा करनें में संगठित प्रयास नहीं किये । दोनो ने उच्च जातियों से वैमनस्य का पाठ ही पढ़ा । बुद्ध , अम्बेडकर , लोहिया , राम स्वरूप वर्मा के बौद्धिक कार्यों को इनके ही अनुयायियों नें नहीं माना ।
होरी ने सम्बोधन में कहा कि आइये अब चाणक्य बनिये , वशिष्ठ बनिये । रानीतिक के साथ साथ साहित्यिक , धार्मिक सत्ता प्राप्त करना आवश्यक है ।अन्य वक्ताओं में इंडिया चेंजेज़ के प्रदेश संयोजक श्री हरिपाल सिंह , राष्ट्रीय अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री अखिलेश कटियार , प्रदेश अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री केदार सचान , श्री नत्थूलाल सचान कानपुर, श्री फूल चंद्र चौधरी , मीडिया प्रभारी बदलता भारत श्री रिज़वान चंचल , श्री जंग बहादुर पटेल बाराबंकी , सत्येंद्र पटेल फ़तेहपुर , जगदीश्वर पटेल लखनऊ ,श्री अशोक पटेल महाराजगंज , प्रियंका कटियार प्रदेश महिला अध्यक्ष शोषित समाज दल , राजेश सचान आदि मुख्य रहे ।
सम्पूर्ण देश में बदलता भारत के द्वारा लगातार अभियान चलाये जा रहे हैं । आप आयें ----
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आज दिनांक एक मई को मज़दूर दिवस पर INDIA CHANGES (बदलता भारत ) तथा अर्जक साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय उपवास और धरना प्रदेश स्तर पर किया गया , जिसका नेतृत्व दोनो संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष ,प्रसिद्ध कवि , साहित्यकार , समाजसेवी एवं प्रखर वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने किया ।
चौदह सूत्री ज्ञापन धरना स्थल पर आकर अपर नगर मजिस्ट्रेट ने लिया ।इस अवसर पर भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया । मुख्य वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने संचालन करते हुये कहा कि बुद्धिजीवी को राजनीति में आना ही होगा अन्यथा देश में परिवर्तन नहीं होगा । अब भारत बदल रहा है , उसमें मौलिक परिवर्तन के लिये सृजन करना होगा । कलम उठाना होगा , देश की पिछड़ी जातियाँ लेखन से दूर होने के कारण और पिछड़ गईं ।दलित जातियों ने भी कोई लेखक , कवि पैदा करनें में संगठित प्रयास नहीं किये । दोनो ने उच्च जातियों से वैमनस्य का पाठ ही पढ़ा । बुद्ध , अम्बेडकर , लोहिया , राम स्वरूप वर्मा के बौद्धिक कार्यों को इनके ही अनुयायियों नें नहीं माना ।
होरी ने सम्बोधन में कहा कि आइये अब चाणक्य बनिये , वशिष्ठ बनिये । रानीतिक के साथ साथ साहित्यिक , धार्मिक सत्ता प्राप्त करना आवश्यक है ।अन्य वक्ताओं में इंडिया चेंजेज़ के प्रदेश संयोजक श्री हरिपाल सिंह , राष्ट्रीय अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री अखिलेश कटियार , प्रदेश अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री केदार सचान , श्री नत्थूलाल सचान कानपुर, श्री फूल चंद्र चौधरी , मीडिया प्रभारी बदलता भारत श्री रिज़वान चंचल , श्री जंग बहादुर पटेल बाराबंकी , सत्येंद्र पटेल फ़तेहपुर , जगदीश्वर पटेल लखनऊ ,श्री अशोक पटेल महाराजगंज , प्रियंका कटियार प्रदेश महिला अध्यक्ष शोषित समाज दल , राजेश सचान आदि मुख्य रहे ।
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Wednesday, 1 May 2013
दो दिवसीय उपवास ( अनशन ) ,धरनास्थल, दारुल सफा,लखनऊ
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आज दिनांक एक मई को मज़दूर दिवस पर INDIA CHANGES (बदलता भारत ) तथा अर्जक साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय उपवास और धरना प्रदेश स्तर पर किया गया , जिसका नेतृत्व दोनो संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष ,प्रसिद्ध कवि , साहित्यकार , समाजसेवी एवं प्रखर वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने किया ।
चौदह सूत्री ज्ञापन धरना स्थल पर आकर अपर नगर मजिस्ट्रेट ने लिया ।इस अवसर पर भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया । मुख्य वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने संचालन करते हुये कहा कि बुद्धिजीवी को राजनीति में आना ही होगा अन्यथा देश में परिवर्तन नहीं होगा । अब भारत बदल रहा है , उसमें मौलिक परिवर्तन के लिये सृजन करना होगा । कलम उठाना होगा , देश की पिछड़ी जातियाँ लेखन से दूर होने के कारण और पिछड़ गईं ।दलित जातियों ने भी कोई लेखक , कवि पैदा करनें में संगठित प्रयास नहीं किये । दोनो ने उच्च जातियों से वैमनस्य का पाठ ही पढ़ा । बुद्ध , अम्बेडकर , लोहिया , राम स्वरूप वर्मा के बौद्धिक कार्यों को इनके ही अनुयायियों नें नहीं माना ।
होरी ने सम्बोधन में कहा कि आइये अब चाणक्य बनिये , वशिष्ठ बनिये । रानीतिक के साथ साथ साहित्यिक , धार्मिक सत्ता प्राप्त करना आवश्यक है ।अन्य वक्ताओं में इंडिया चेंजेज़ के प्रदेश संयोजक श्री हरिपाल सिंह , राष्ट्रीय अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री अखिलेश कटियार , प्रदेश अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री केदार सचान , श्री नत्थूलाल सचान कानपुर, श्री फूल चंद्र चौधरी , मीडिया प्रभारी बदलता भारत श्री रिज़वान चंचल , श्री जंग बहादुर पटेल बाराबंकी , सत्येंद्र पटेल फ़तेहपुर , जगदीश्वर पटेल लखनऊ ,श्री अशोक पटेल महाराजगंज , प्रियंका कटियार प्रदेश महिला अध्यक्ष शोषित समाज दल , राजेश सचान आदि मुख्य रहे ।
सम्पूर्ण देश में बदलता भारत के द्वारा लगातार अभियान चलाये जा रहे हैं । आप आयें ----
देश की माटी बुलाती है तुम्हें ,
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धर्म और जातियों का भाव तज ,
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आज दिनांक एक मई को मज़दूर दिवस पर INDIA CHANGES (बदलता भारत ) तथा अर्जक साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय उपवास और धरना प्रदेश स्तर पर किया गया , जिसका नेतृत्व दोनो संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष ,प्रसिद्ध कवि , साहित्यकार , समाजसेवी एवं प्रखर वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने किया ।
चौदह सूत्री ज्ञापन धरना स्थल पर आकर अपर नगर मजिस्ट्रेट ने लिया ।इस अवसर पर भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया । मुख्य वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने संचालन करते हुये कहा कि बुद्धिजीवी को राजनीति में आना ही होगा अन्यथा देश में परिवर्तन नहीं होगा । अब भारत बदल रहा है , उसमें मौलिक परिवर्तन के लिये सृजन करना होगा । कलम उठाना होगा , देश की पिछड़ी जातियाँ लेखन से दूर होने के कारण और पिछड़ गईं ।दलित जातियों ने भी कोई लेखक , कवि पैदा करनें में संगठित प्रयास नहीं किये । दोनो ने उच्च जातियों से वैमनस्य का पाठ ही पढ़ा । बुद्ध , अम्बेडकर , लोहिया , राम स्वरूप वर्मा के बौद्धिक कार्यों को इनके ही अनुयायियों नें नहीं माना ।
होरी ने सम्बोधन में कहा कि आइये अब चाणक्य बनिये , वशिष्ठ बनिये । रानीतिक के साथ साथ साहित्यिक , धार्मिक सत्ता प्राप्त करना आवश्यक है ।अन्य वक्ताओं में इंडिया चेंजेज़ के प्रदेश संयोजक श्री हरिपाल सिंह , राष्ट्रीय अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री अखिलेश कटियार , प्रदेश अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री केदार सचान , श्री नत्थूलाल सचान कानपुर, श्री फूल चंद्र चौधरी , मीडिया प्रभारी बदलता भारत श्री रिज़वान चंचल , श्री जंग बहादुर पटेल बाराबंकी , सत्येंद्र पटेल फ़तेहपुर , जगदीश्वर पटेल लखनऊ ,श्री अशोक पटेल महाराजगंज , प्रियंका कटियार प्रदेश महिला अध्यक्ष शोषित समाज दल , राजेश सचान आदि मुख्य रहे ।
सम्पूर्ण देश में बदलता भारत के द्वारा लगातार अभियान चलाये जा रहे हैं । आप आयें ----
देश की माटी बुलाती है तुम्हें ,
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धर्म और जातियों का भाव तज ,
प्यारों बेटो , भारत माँ का नाम लो । (होरी )
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Thursday, 25 April 2013
अश्लील साहित्य और शराब पर "हल्ला बोल"
अश्लील साहित्य और शराब पर "हल्ला बोल"
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छोटी बच्चियों से लेकर समाज की हर स्त्री को उपभोग की वस्तु बनाया है हमारे अतिशय शराब और अश्लील साहित्य के मन माने उपयोग ने ।सरकारें अधिक से अधिक आय बढा़ने के लिये शराब की बिक्री बढ़ाती है । आज इंटरनेट के द्वारा घर घर पोर्न सामग्री देखी जा रही है। पोर्न स्टार कहने में झिझक नहीं ।
आइये अभियान चलायें ।शराब और अश्लील ,पोर्न सामग्री के विरुद्ध हल्ला बोल अभियान की आवश्यकता है । जितने भी सोशल नेटवर्क के क्रियाशील साथी हैं वे एक साथ इन दो के खिलाफ़ हल्ला बोलें , और सबसे अधिक महत्वपूर्ण है कि वे स्वयं भी प्रतिज्ञा करें कि इन दोनों से स्वयं को दूर रखेंगे । निश्चय ही परिवर्तन आयेगा । भारत बदलेगा । India will change.
www.indiachanges.com , horibadaltabharat.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com
Eid - horiindiachanges@gmail.com ,indiachanges2012@gmail.com
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छोटी बच्चियों से लेकर समाज की हर स्त्री को उपभोग की वस्तु बनाया है हमारे अतिशय शराब और अश्लील साहित्य के मन माने उपयोग ने ।सरकारें अधिक से अधिक आय बढा़ने के लिये शराब की बिक्री बढ़ाती है । आज इंटरनेट के द्वारा घर घर पोर्न सामग्री देखी जा रही है। पोर्न स्टार कहने में झिझक नहीं ।
आइये अभियान चलायें ।शराब और अश्लील ,पोर्न सामग्री के विरुद्ध हल्ला बोल अभियान की आवश्यकता है । जितने भी सोशल नेटवर्क के क्रियाशील साथी हैं वे एक साथ इन दो के खिलाफ़ हल्ला बोलें , और सबसे अधिक महत्वपूर्ण है कि वे स्वयं भी प्रतिज्ञा करें कि इन दोनों से स्वयं को दूर रखेंगे । निश्चय ही परिवर्तन आयेगा । भारत बदलेगा । India will change.
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Eid - horiindiachanges@gmail.com ,indiachanges2012@gmail.com
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Wednesday, 24 April 2013
अश्लील साहित्य और शराब
अश्लील साहित्य और शराब
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छोटी बच्चियों से लेकर समाज की हर स्त्री को उपभोग की वस्तु बनाया है हमारे अतिशय शराब और अश्लील साहित्य के मन माने उपयोग ने ।सरकारें अधिक से अधिक आय बढा़ने के लिये शराब की बिक्री बढ़ाती है । आज इंटरनेट के द्वारा घर घर पोर्न सामग्री देखी जा रही है। पोर्न स्टार कहने में झिझक नहीं ।
आइये अभियान चलायें ।
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छोटी बच्चियों से लेकर समाज की हर स्त्री को उपभोग की वस्तु बनाया है हमारे अतिशय शराब और अश्लील साहित्य के मन माने उपयोग ने ।सरकारें अधिक से अधिक आय बढा़ने के लिये शराब की बिक्री बढ़ाती है । आज इंटरनेट के द्वारा घर घर पोर्न सामग्री देखी जा रही है। पोर्न स्टार कहने में झिझक नहीं ।
आइये अभियान चलायें ।
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Tuesday, 23 April 2013
उत्थान , समानता का रास्ता -बौद्धिक सत्ता
उत्थान , समानता का रास्ता -बौद्धिक सत्ता
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हमारे देश में धर्मों के अनुपालन में जितना लचीलापन है उतना विश्व के किसी भी देश में नहीं है , परन्तु वहीं यह भी कटु सत्य है कि जातियों को लेकर जितनी कट्टरता और कठोरता अपने देश में है उतनी कहीं नहीं । हिन्दुओं में पूर्ण छूट है ------ईश्वर को साकार मानो चाहे निराकार , देवी मानो या देवता मानो , एक मानो चाहे अनेक । पूजा स्थल भी प्रथक ।धार्मिक पुस्तक भी प्रथक ।यहाँ तक अनीश्वरवादी , नास्तिक भी हिन्दू हो सकता है । हिन्दुओं की भाँति खुलापन दुनिया में अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं । मानव को इतनी स्वतन्त्रता वरेण्य है ।स्तुत्य है । तभी कदाचित भारत भूभाग ही ऐसा है जहाँ विश्व के सारे धर्म या तो जन्में हैं अथवा फूले फले हैं । इसका हमें गर्व है । यहाँ धर्मों पर शास्त्रार्थ करना परम्परा है । यही कारण रहा है कि इस भूभाग में धर्मों का विकास सर्वाधिक रहा है ।
धर्मों के क्षेत्र की स्वतन्त्रता और सरलता सामाजिक क्षेत्र में कहीं नहीं दिखती है । समाज में वर्ण और जातियों के अकाट्य बन्धन हैं , जिन्हें पहले कर्म से बनाया गया वे सब जन्म से होकर रूढ़ बन गयीं । जातियाँ व्यवसायों के आधार पर बनती रहीं और जितने व्यवसाय उतनी जातियों की स्थिति आ गयी । उदाहरण के लिये पान बेचने वाला तोली , बर्तन बनाने वाला कुम्हार , पानी भरने वाला कहार , लकड़ी का काम करने वाला बढ़यी, लोहे के काम वाला लोहार , कपड़े धोने वाला धानुक ,चमड़े के काम वाला चमार , नाव चलाने वाला केवट , भेड़ बकरी पालने वाला गड़रिया , गाय भैंस पालने वाला अहीर, सामान्य कृषक कुर्मी, सब्जी करने वाला काछी आदि आदि ।
व्यवसायों के अतिरिक्त अन्तरजातीय विवाहों से वर्ण संकर जातियाँ बनती रहीं । यहाँ तक कि धर्म परिवर्तन के बाद भी हिन्दू अपनी जातियों को वहांं भी ले गया । तभी मुस्लिम और ईसाइओं में भी जातियाँ मिलती हैं ।जातियों जातियों में जहाँ आरम्भ में कर्म का महत्व था धीरे धीरे जन्म महत्वपूर्ण होने लगा और इतिहास गवाह है कि जन्म आधारित जातीय हिंसा से यह देश लगातार पीड़ित रहा है ।
सामाजिक क्षेत्र में जितना रूढ़ हिन्दू समाज है उतना कोई भी नहीं । यहाँ जातियाँ जन्म से निर्धारित हो जाती हैं और कर्म से उनमें कोई भी बदलाव सम्भव नहीं । निम्न जाति कितना भी उच्च कार्य करे वह निम्न ही बनी रहती है , कभी भी उच्च जाति में प्रवेश नहीं कर पाती । इसी प्रकार उच्च जाति कितना भी निम्न और पतित काम करे वह बेधड़क , बेखौफ़ उच्च ही बनी रहती है , उसे किसी भी तरह निम्न जाति में जाने का ख़तरा नहीं रहता ।
वर्तमान जातिव्यवस्था में अच्छे और बुरे कर्मों का कोई स्थान नहीं । ब्राह्मण -ब्राह्मण रहेगा , वैश्य - वैश्य , क्षत्रिय -क्षत्रिय , शूद्र -शूद्र । यही नहीं इन चारों वर्णों के अन्तर्गत हज़ारों जातियाँ हैं जो भी वही की वही बनी रहती हैं। इस कठोर और आदिम व्यवस्था से हिन्दुस्तान का जहाँ सामाजिक विकास ठहर गया , वहीं सदियों से आपस में जातिगत दूरियाँ बनी रहीं । यहाँ तक हुआ है -- इतिहास गवाह है ,विदेशी आक्रमणों के समय भी हम जातीय दूरी के कारण एक होकर अपनी रक्षा न कर सके , भले ही बार बार गुलामी का कड़वा घूंट पीते रहे ।
जब बौद्ध धर्म आया तब कुछ काल के लिये ही सही मानववाद की स्थापना हुई , परन्तु भारत में उसकी स्थिति कुछ वर्षों के बाद कमज़ोर हो गई । जातियों और वर्णों के विरुद्ध समय समय पर आवाजें भी उठती रहीं और आन्दोलन भी होते रहे परन्तु निर्णायक युद्ध , आन्दोलन कभी लड़े ही नहीं जा सके । अम्बेडकर , लोहिया और दक्षिण भारत में रामास्वामी नायकर तो उत्तर भारत में राम स्वरूप वर्मा उल्लेखनीय नाम हैं ।
इन सबके बाद भी 21वीं सदी में भी स्थिति जस की तस है । जातिवाद कम नहीं हुआ है । जातीय दूरियाँ पहले की तरह बनी हुई हैं आरक्षणकी व्यवस्था से यद्यपि समानता बढ़ी है , परन्तु वैमनस्य भी बढ़ा है । आखिर इसका समाधान कहाँ है ?
आइये इस सामाजिक बीमारी का गहन परीक्षण करें । जहाँ उच्च जातियों में अपने से निम्न जातियों से समानता रखने में अरुचि है वहीं पिछड़ी और दलित जातियों में उच्च बनने की ललक तो है परन्तु रास्तों में भटकाव है । राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के प्रयत्नों में सफलता तो मिली , पर बात बनी नहीं । आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं । प्रगति के आंकड़े बहुत संतोषजनक नहीं कहे जा सकते । नौकरियों ,कुछ अन्य क्षेत्रों में प्रगति इतनी नाकाफी है कि समाज में पिछड़ों , दलितों को अभी भी सामाजिक दृष्टि से हेय समझा जाता है ।
हमें इसके लिये वर्ण व्यवस्था के मूल में जाना होगा । कार्यों का विभाजन देखिये ------जो बौद्धिक कार्य करे वह ब्राह्मण और उसे सर्वोच्च , सर्वश्रेष्ठ माना गया । जो रक्षा , सुरक्षा ,युद्ध ,शासन इत्यादि कार्य करे और सत्ता को स्थापित रखे वह क्षत्रिय और इसे द्वितीय स्थान मिला । ग्राम , नगर में व्यवसाय करने और मूल रूप से लक्ष्मी साधना करने वाले वैश्य या वणिक और यह वर्ण तृतीय स्थान पर आया । अन्तिम स्थान मिला उसे जो सबकी सेवा कार्य करे और कहलाया शूद्र । अब इसका सूक्ष्म परीक्षण कीजिये । एक -जनसंख्या के हिसाब से ऊपर के तीन वर्णों में आने वालों की संख्या कुल जनसंख्या का लगभग 20% है । सेवा कार्य करने वालों की संख्या 80% है । आज के पिछड़ों को किस वर्ण में रखेंगे -- शुद्ध क्षत्रिय वर्ण उन्हें अपने साथ नहीं रखता और शूद्रों से अपने को ऊपर मानते हैं । अनुसूचित और दलित तो हैं ही शूद्र वर्ण में । सामाजिक सम्मान की दृष्टि से देखें तो आज भी राजनैतिक सत्ता प्राप्त करने के बावजूद अहीर -अहीर कहा जाता है , कुर्मी -कुर्मी , चमार -चमार आदि आदि । ब्राह्मण , क्षत्रिय और वैश्य वर्ण वाला सम्मान इन्हें कभी नहीं मिल पाता है ।
स्वतन्त्र भारत में एक परिवर्तन और आया जिसका उल्लेख किया जाना आवश्यक होगा ।अब सामाजिक वर्गीकरण की अन्य तरह की चार श्रेणियाँ बन गई हैं । ये हैं ----(1) सामान्य जातियाँ
(2) पिछड़़ी जातियाँ
(3) अनुसूचित जातियाँ
(4) अनुसूचित जन जातियाँ
जनसंख्या का प्रतिशत महत्वपूर्ण है ।
सामान्य 20% , पिछड़ी 60% ,अनुसूचित 20%
इस जनसंख्या में 20% उच्च वर्णों के अन्दर और 80% निम्न वर्ण में हैं ।
पिछड़ों और दलितों में राजनैतिक चेतना के लिये समय समय पर जितना किया जाता रहा उसके मुकाबले बौद्धिक सत्ता प्राप्त करने के लिये न के बराबर काम हुये । राजनैतिक सत्ता को अगर ज्ञत्रियत्व माना जाय तो कहा जा सकता है कि क्षत्रिय बनने के लिये तो लगातार प्रयत्न हुये पर सर्वोच्च सत्ता --ब्राह्मणत्व को प्राप्त करने के लिये प्रयत्न लगभग किये ही नहीं गये । इन वर्गों में पढ़ाई -लिखाई , बौद्धिक कार्यों में अरुचि ही रही जिससे उच्च सम्मान के हकदार ये कभी न बन सके ।
समय समय पर इन समाजों में जागरूकता के कार्यक्रम तो चलाये गये पर सतही स्तर पर ही रहे । पिछड़ों , दलितों के विभिन्न संगठनों का ध्यान कभी भी बौद्धिक सत्ता प्राप्त करने पर टिका ही नहीं । मैं स्वयं जीवन भर इनके अनेक संगठनों में रहा परन्तु लाख प्रयत्न करने के बावजूद इनमें विशेष रुचि जाग्रत करने में असमर्थ रहा । वास्तव में ये सारे समाज अपने रूढ़िवादी ढांचे से ही त्रस्त हैं ।अपनी जड़ता से ग्रस्त ये समाज बौद्धिक कार्यों में रुचि ही नहीं लेते और अपनी मूढ़ता , पिछडे़पन का का सारा ठीकरा ब्राह्मणवादी व्यवस्था पर फोड़ देते हैं । यही कारण है कि आज भी ,2013 तक इन वर्गों में लेखक , कवि , रचनाकार , पत्रकार , कलमकार , कलाकार दीपक लेकर खोजने से भी नहीं मिलते ।
इन वर्गों में इस दुर्गति को अच्छी तरह समझना होगा ।वास्तविक बीमारी को समझ कर ही उसका निदान खोजना उचित होता है । पहले यह मान लेना पड़ेगा कि अतीत की स्थिति कुछ भी रही हो ,कम से कम अब स्वतन्त्रता के बाद ब्राह्मणवाद को दोष देना कदापि उचित नहीं । अब मानना ही पड़ेगा कि हम में पढ़े लिखे कम हैं , विद्वान नहीं हैं , लेखक , कवि , पत्रकार नहीं , हम पुस्तकें नहीं लिख रहे ---तो इन सबके लिये केवल हमारा वर्ग ही दोषी है और विशेषकर सामाजिक और राजनैतिक नेता । इनकी सोच और मानसिकता आज भी पिछड़ी है , दलित है । आज भी भारी संख्या में इन वर्गों में शराब और नशे का सेवन है , पढ़ाई लिखाई के प्रति समर्पण नहीं ।
इस पृष्ठभूमि में विचारोपरान्त मेरे द्वारा इन 80% लोगों के समाजों के लिये लेखन में रुचि जाग्रत करने , व्यापक लेखकीय कर्म करने , पत्रकारिता करने , पुस्तकें लिखने , कलमकार और कलाकार बनने ---आदि क्षेत्रों में कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं । मेरी कोशिश है कि ज्ञान और बौद्धिक क्षेत्र के सारे कार्यों को ये वर्ग करने लगें और समाज के उच्च कहे जाने वर्गों के साथ कंधे से कन्धा मिलाने लगें । जब ये वर्ग बौद्धिक सत्ता प्राप्त कर लेंगे तब स्वयं ही ब्राह्मणत्व को प्राप्त हो जायेंगे । धर्म , दर्शन , ज्ञान , विज्ञान के क्षेत्रों में इनका भारी दखल हो जाने से स्वयं सम्मान बढ़ जायेगा । इस सम्पूर्ण स्थिति से पूरे भारतवर्ष का समग्र विकास होगा । वर्णों और जातियों की दूरियाँ मिटेंगी । समानता बढ़ेगी , विषमता घटेगी । देश तभी और केवल तभी पुनः विश्व गुरू बनेगा ।
आइये हमारे साथ एक नये युग का सूत्रपात करें । अपने अपने समाजों के लेखन में रुचि रखनेवालों और लेखन तथा धर्म, दर्शन , कला के क्षेत्रों में काम करने वालों के विवरण हमें प्रेषित करने का कष्ट करें ।
आपका
राज कुमार सचान "होरी"
राष्ट्रीय संयोजक -- बदलता भारत ( INDIA CHANGES ) , राष्ट्रीय अध्यक्ष --- अर्जक साहित्य परिषद ।
www.indiachanges.com ,http/ horibadaltabharat.blogspot.com , http/ arjaksahityaparishad.blogspot.com
Email- horiindiachanges@gmail.com , indiachanges2013@gmail.com , horirajkumarsachan@gmail.com
Address -- Srs international school , 16 basant vihar , manas vihar road , Indira nagar , lucknow ( up) , India .
08938841199 , 08800228539
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हमारे देश में धर्मों के अनुपालन में जितना लचीलापन है उतना विश्व के किसी भी देश में नहीं है , परन्तु वहीं यह भी कटु सत्य है कि जातियों को लेकर जितनी कट्टरता और कठोरता अपने देश में है उतनी कहीं नहीं । हिन्दुओं में पूर्ण छूट है ------ईश्वर को साकार मानो चाहे निराकार , देवी मानो या देवता मानो , एक मानो चाहे अनेक । पूजा स्थल भी प्रथक ।धार्मिक पुस्तक भी प्रथक ।यहाँ तक अनीश्वरवादी , नास्तिक भी हिन्दू हो सकता है । हिन्दुओं की भाँति खुलापन दुनिया में अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं । मानव को इतनी स्वतन्त्रता वरेण्य है ।स्तुत्य है । तभी कदाचित भारत भूभाग ही ऐसा है जहाँ विश्व के सारे धर्म या तो जन्में हैं अथवा फूले फले हैं । इसका हमें गर्व है । यहाँ धर्मों पर शास्त्रार्थ करना परम्परा है । यही कारण रहा है कि इस भूभाग में धर्मों का विकास सर्वाधिक रहा है ।
धर्मों के क्षेत्र की स्वतन्त्रता और सरलता सामाजिक क्षेत्र में कहीं नहीं दिखती है । समाज में वर्ण और जातियों के अकाट्य बन्धन हैं , जिन्हें पहले कर्म से बनाया गया वे सब जन्म से होकर रूढ़ बन गयीं । जातियाँ व्यवसायों के आधार पर बनती रहीं और जितने व्यवसाय उतनी जातियों की स्थिति आ गयी । उदाहरण के लिये पान बेचने वाला तोली , बर्तन बनाने वाला कुम्हार , पानी भरने वाला कहार , लकड़ी का काम करने वाला बढ़यी, लोहे के काम वाला लोहार , कपड़े धोने वाला धानुक ,चमड़े के काम वाला चमार , नाव चलाने वाला केवट , भेड़ बकरी पालने वाला गड़रिया , गाय भैंस पालने वाला अहीर, सामान्य कृषक कुर्मी, सब्जी करने वाला काछी आदि आदि ।
व्यवसायों के अतिरिक्त अन्तरजातीय विवाहों से वर्ण संकर जातियाँ बनती रहीं । यहाँ तक कि धर्म परिवर्तन के बाद भी हिन्दू अपनी जातियों को वहांं भी ले गया । तभी मुस्लिम और ईसाइओं में भी जातियाँ मिलती हैं ।जातियों जातियों में जहाँ आरम्भ में कर्म का महत्व था धीरे धीरे जन्म महत्वपूर्ण होने लगा और इतिहास गवाह है कि जन्म आधारित जातीय हिंसा से यह देश लगातार पीड़ित रहा है ।
सामाजिक क्षेत्र में जितना रूढ़ हिन्दू समाज है उतना कोई भी नहीं । यहाँ जातियाँ जन्म से निर्धारित हो जाती हैं और कर्म से उनमें कोई भी बदलाव सम्भव नहीं । निम्न जाति कितना भी उच्च कार्य करे वह निम्न ही बनी रहती है , कभी भी उच्च जाति में प्रवेश नहीं कर पाती । इसी प्रकार उच्च जाति कितना भी निम्न और पतित काम करे वह बेधड़क , बेखौफ़ उच्च ही बनी रहती है , उसे किसी भी तरह निम्न जाति में जाने का ख़तरा नहीं रहता ।
वर्तमान जातिव्यवस्था में अच्छे और बुरे कर्मों का कोई स्थान नहीं । ब्राह्मण -ब्राह्मण रहेगा , वैश्य - वैश्य , क्षत्रिय -क्षत्रिय , शूद्र -शूद्र । यही नहीं इन चारों वर्णों के अन्तर्गत हज़ारों जातियाँ हैं जो भी वही की वही बनी रहती हैं। इस कठोर और आदिम व्यवस्था से हिन्दुस्तान का जहाँ सामाजिक विकास ठहर गया , वहीं सदियों से आपस में जातिगत दूरियाँ बनी रहीं । यहाँ तक हुआ है -- इतिहास गवाह है ,विदेशी आक्रमणों के समय भी हम जातीय दूरी के कारण एक होकर अपनी रक्षा न कर सके , भले ही बार बार गुलामी का कड़वा घूंट पीते रहे ।
जब बौद्ध धर्म आया तब कुछ काल के लिये ही सही मानववाद की स्थापना हुई , परन्तु भारत में उसकी स्थिति कुछ वर्षों के बाद कमज़ोर हो गई । जातियों और वर्णों के विरुद्ध समय समय पर आवाजें भी उठती रहीं और आन्दोलन भी होते रहे परन्तु निर्णायक युद्ध , आन्दोलन कभी लड़े ही नहीं जा सके । अम्बेडकर , लोहिया और दक्षिण भारत में रामास्वामी नायकर तो उत्तर भारत में राम स्वरूप वर्मा उल्लेखनीय नाम हैं ।
इन सबके बाद भी 21वीं सदी में भी स्थिति जस की तस है । जातिवाद कम नहीं हुआ है । जातीय दूरियाँ पहले की तरह बनी हुई हैं आरक्षणकी व्यवस्था से यद्यपि समानता बढ़ी है , परन्तु वैमनस्य भी बढ़ा है । आखिर इसका समाधान कहाँ है ?
आइये इस सामाजिक बीमारी का गहन परीक्षण करें । जहाँ उच्च जातियों में अपने से निम्न जातियों से समानता रखने में अरुचि है वहीं पिछड़ी और दलित जातियों में उच्च बनने की ललक तो है परन्तु रास्तों में भटकाव है । राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के प्रयत्नों में सफलता तो मिली , पर बात बनी नहीं । आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं । प्रगति के आंकड़े बहुत संतोषजनक नहीं कहे जा सकते । नौकरियों ,कुछ अन्य क्षेत्रों में प्रगति इतनी नाकाफी है कि समाज में पिछड़ों , दलितों को अभी भी सामाजिक दृष्टि से हेय समझा जाता है ।
हमें इसके लिये वर्ण व्यवस्था के मूल में जाना होगा । कार्यों का विभाजन देखिये ------जो बौद्धिक कार्य करे वह ब्राह्मण और उसे सर्वोच्च , सर्वश्रेष्ठ माना गया । जो रक्षा , सुरक्षा ,युद्ध ,शासन इत्यादि कार्य करे और सत्ता को स्थापित रखे वह क्षत्रिय और इसे द्वितीय स्थान मिला । ग्राम , नगर में व्यवसाय करने और मूल रूप से लक्ष्मी साधना करने वाले वैश्य या वणिक और यह वर्ण तृतीय स्थान पर आया । अन्तिम स्थान मिला उसे जो सबकी सेवा कार्य करे और कहलाया शूद्र । अब इसका सूक्ष्म परीक्षण कीजिये । एक -जनसंख्या के हिसाब से ऊपर के तीन वर्णों में आने वालों की संख्या कुल जनसंख्या का लगभग 20% है । सेवा कार्य करने वालों की संख्या 80% है । आज के पिछड़ों को किस वर्ण में रखेंगे -- शुद्ध क्षत्रिय वर्ण उन्हें अपने साथ नहीं रखता और शूद्रों से अपने को ऊपर मानते हैं । अनुसूचित और दलित तो हैं ही शूद्र वर्ण में । सामाजिक सम्मान की दृष्टि से देखें तो आज भी राजनैतिक सत्ता प्राप्त करने के बावजूद अहीर -अहीर कहा जाता है , कुर्मी -कुर्मी , चमार -चमार आदि आदि । ब्राह्मण , क्षत्रिय और वैश्य वर्ण वाला सम्मान इन्हें कभी नहीं मिल पाता है ।
स्वतन्त्र भारत में एक परिवर्तन और आया जिसका उल्लेख किया जाना आवश्यक होगा ।अब सामाजिक वर्गीकरण की अन्य तरह की चार श्रेणियाँ बन गई हैं । ये हैं ----(1) सामान्य जातियाँ
(2) पिछड़़ी जातियाँ
(3) अनुसूचित जातियाँ
(4) अनुसूचित जन जातियाँ
जनसंख्या का प्रतिशत महत्वपूर्ण है ।
सामान्य 20% , पिछड़ी 60% ,अनुसूचित 20%
इस जनसंख्या में 20% उच्च वर्णों के अन्दर और 80% निम्न वर्ण में हैं ।
पिछड़ों और दलितों में राजनैतिक चेतना के लिये समय समय पर जितना किया जाता रहा उसके मुकाबले बौद्धिक सत्ता प्राप्त करने के लिये न के बराबर काम हुये । राजनैतिक सत्ता को अगर ज्ञत्रियत्व माना जाय तो कहा जा सकता है कि क्षत्रिय बनने के लिये तो लगातार प्रयत्न हुये पर सर्वोच्च सत्ता --ब्राह्मणत्व को प्राप्त करने के लिये प्रयत्न लगभग किये ही नहीं गये । इन वर्गों में पढ़ाई -लिखाई , बौद्धिक कार्यों में अरुचि ही रही जिससे उच्च सम्मान के हकदार ये कभी न बन सके ।
समय समय पर इन समाजों में जागरूकता के कार्यक्रम तो चलाये गये पर सतही स्तर पर ही रहे । पिछड़ों , दलितों के विभिन्न संगठनों का ध्यान कभी भी बौद्धिक सत्ता प्राप्त करने पर टिका ही नहीं । मैं स्वयं जीवन भर इनके अनेक संगठनों में रहा परन्तु लाख प्रयत्न करने के बावजूद इनमें विशेष रुचि जाग्रत करने में असमर्थ रहा । वास्तव में ये सारे समाज अपने रूढ़िवादी ढांचे से ही त्रस्त हैं ।अपनी जड़ता से ग्रस्त ये समाज बौद्धिक कार्यों में रुचि ही नहीं लेते और अपनी मूढ़ता , पिछडे़पन का का सारा ठीकरा ब्राह्मणवादी व्यवस्था पर फोड़ देते हैं । यही कारण है कि आज भी ,2013 तक इन वर्गों में लेखक , कवि , रचनाकार , पत्रकार , कलमकार , कलाकार दीपक लेकर खोजने से भी नहीं मिलते ।
इन वर्गों में इस दुर्गति को अच्छी तरह समझना होगा ।वास्तविक बीमारी को समझ कर ही उसका निदान खोजना उचित होता है । पहले यह मान लेना पड़ेगा कि अतीत की स्थिति कुछ भी रही हो ,कम से कम अब स्वतन्त्रता के बाद ब्राह्मणवाद को दोष देना कदापि उचित नहीं । अब मानना ही पड़ेगा कि हम में पढ़े लिखे कम हैं , विद्वान नहीं हैं , लेखक , कवि , पत्रकार नहीं , हम पुस्तकें नहीं लिख रहे ---तो इन सबके लिये केवल हमारा वर्ग ही दोषी है और विशेषकर सामाजिक और राजनैतिक नेता । इनकी सोच और मानसिकता आज भी पिछड़ी है , दलित है । आज भी भारी संख्या में इन वर्गों में शराब और नशे का सेवन है , पढ़ाई लिखाई के प्रति समर्पण नहीं ।
इस पृष्ठभूमि में विचारोपरान्त मेरे द्वारा इन 80% लोगों के समाजों के लिये लेखन में रुचि जाग्रत करने , व्यापक लेखकीय कर्म करने , पत्रकारिता करने , पुस्तकें लिखने , कलमकार और कलाकार बनने ---आदि क्षेत्रों में कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं । मेरी कोशिश है कि ज्ञान और बौद्धिक क्षेत्र के सारे कार्यों को ये वर्ग करने लगें और समाज के उच्च कहे जाने वर्गों के साथ कंधे से कन्धा मिलाने लगें । जब ये वर्ग बौद्धिक सत्ता प्राप्त कर लेंगे तब स्वयं ही ब्राह्मणत्व को प्राप्त हो जायेंगे । धर्म , दर्शन , ज्ञान , विज्ञान के क्षेत्रों में इनका भारी दखल हो जाने से स्वयं सम्मान बढ़ जायेगा । इस सम्पूर्ण स्थिति से पूरे भारतवर्ष का समग्र विकास होगा । वर्णों और जातियों की दूरियाँ मिटेंगी । समानता बढ़ेगी , विषमता घटेगी । देश तभी और केवल तभी पुनः विश्व गुरू बनेगा ।
आइये हमारे साथ एक नये युग का सूत्रपात करें । अपने अपने समाजों के लेखन में रुचि रखनेवालों और लेखन तथा धर्म, दर्शन , कला के क्षेत्रों में काम करने वालों के विवरण हमें प्रेषित करने का कष्ट करें ।
आपका
राज कुमार सचान "होरी"
राष्ट्रीय संयोजक -- बदलता भारत ( INDIA CHANGES ) , राष्ट्रीय अध्यक्ष --- अर्जक साहित्य परिषद ।
www.indiachanges.com ,http/ horibadaltabharat.blogspot.com , http/ arjaksahityaparishad.blogspot.com
Email- horiindiachanges@gmail.com , indiachanges2013@gmail.com , horirajkumarsachan@gmail.com
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Saturday, 20 April 2013
समानता का समर्थन विषमता का विरोध
समानता का समर्थन विषमता का विरोध
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सभी मनुष्य जन्म से समान हैं । वर्णों , जातियों , धर्मों , भाषाओं आदि के आधार पर विभेद स्वयं मनुष्यों ने पैदा किये हैं । जन्मदाता नें तो केवल मनुष्य के रूप में ही हमें जन्म दिया है । इस लिये जहाँ भी ,जब भी ,जैसे भी विषमता का वर्णन होगा हम उसका खंडन और विरोध करेंगे । परन्तु उसी अंश तक । जैसे रामचरितमानस और मनुष्मृति में विषमता वाले अंशों का विरोध और खंडन , न कि सम्पूर्ण ग्रन्थों का ।
हमें यदि बहुदेववाद पर आस्था नहीं है तो हम उसको न माने और अपनी आस्था के अनुसार धर्म का पालन करें । यहाँ तक हम नया पन्थ चला सकते हैं या पुराने पन्थों , रीतिरिवाजों में संसोधन कर सकते हैं । हर व्यक्ति अपने अनुसार धर्म मानने के लिये पूर्ण स्वतन्त्र है । लेकिन कोई रास्ता खोजना होगा , जैसे स्वामी दयानन्द जी ने आर्य समाज की स्थापना कर के दिया था । बहुत पहले यही कार्य महात्मा बुद्ध और जैन मुनियों ने किया था ।
पर यह ध्यान रहे कि हम ज्ञान के ही विरोधी न हो जायें । क्या कारण है कि देश में 80%आबादी ( पिछड़ी,अनुसूचित ) में लेखकों , कवियों , पत्रकारों , कलाकारों , कलमकारों की संख्या नगण्य है । इन समाजों के लोगों ने स्वयं ही इन विद्या के क्षेत्रों में कभी ध्यान नहीं दिया और दोष सनातन व्यवस्था और ब्राह्मण समाज पर मढ़ते रहे । 1200 सौ वर्षों के मुस्लिम और अन्ग्रेजों के शासन में समाज के इन पिछड़े , दलित समाजों पर उच्च वर्णों की कोई पाबन्दी नहीं थी बल्कि इन समाजों ने स्वयं अपना सुधार नहीं किया । स्वयं विद्वान , पंडित बनने में कोई रुचि नहीं ली बस दूसरों को दोष देकर खानापूर्ति कर ली । विभिन्न विषयों पर किताबें इन वर्गों द्वारा न के बराबर लिखी गयीं । खेती , मज़दूरी में लगे रहे ,पढ़ने लिखने पर ध्यान नहीं दिया ।
1947 के पश्चात संविधान लागू है पर स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं । आज भी इन दलित , पिछड़ों द्वारा कितनी किताबें लिखी जा रही हैं ? कितने लेखक , पत्रकार , कवि हैं ? नहीं हैं तो दोष आज भी हम उच्च वर्णों को देते हैं । हम अपनी मूर्खताओं के लिये भी दोषी ब्राह्मणों और उच्च वर्गों को ठहराते हैं । आज भी ज्ञान सृजन पर कोई ध्यान नहीं । अधिक से अधिक राजनैतिक सत्ता पर ध्यान तो गया पर ज्ञान , सृजन उपेक्षित ही रहा ।
आइये हम सूरज पर थूकनें के बजाय उससे सीखें । ज्ञान अर्जित करें । समानता प्राप्त करें । दलित और पिछडे़ ,उच्च वर्गों , वर्णों के समकक्ष पहुँचे ।
राज कुमार सचान होरी
कवि,लेखक, साहित्यकार , वक्ता
राष्ट्रीय संयोजक ---India Changes .राष्ट्रीय अध्यक्ष ---अर्जक साहित्य परिषद
Mob.07599155999
Eid horiindiachanges@gmail.com , arjaksangh.s.p@gmail.com
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सभी मनुष्य जन्म से समान हैं । वर्णों , जातियों , धर्मों , भाषाओं आदि के आधार पर विभेद स्वयं मनुष्यों ने पैदा किये हैं । जन्मदाता नें तो केवल मनुष्य के रूप में ही हमें जन्म दिया है । इस लिये जहाँ भी ,जब भी ,जैसे भी विषमता का वर्णन होगा हम उसका खंडन और विरोध करेंगे । परन्तु उसी अंश तक । जैसे रामचरितमानस और मनुष्मृति में विषमता वाले अंशों का विरोध और खंडन , न कि सम्पूर्ण ग्रन्थों का ।
हमें यदि बहुदेववाद पर आस्था नहीं है तो हम उसको न माने और अपनी आस्था के अनुसार धर्म का पालन करें । यहाँ तक हम नया पन्थ चला सकते हैं या पुराने पन्थों , रीतिरिवाजों में संसोधन कर सकते हैं । हर व्यक्ति अपने अनुसार धर्म मानने के लिये पूर्ण स्वतन्त्र है । लेकिन कोई रास्ता खोजना होगा , जैसे स्वामी दयानन्द जी ने आर्य समाज की स्थापना कर के दिया था । बहुत पहले यही कार्य महात्मा बुद्ध और जैन मुनियों ने किया था ।
पर यह ध्यान रहे कि हम ज्ञान के ही विरोधी न हो जायें । क्या कारण है कि देश में 80%आबादी ( पिछड़ी,अनुसूचित ) में लेखकों , कवियों , पत्रकारों , कलाकारों , कलमकारों की संख्या नगण्य है । इन समाजों के लोगों ने स्वयं ही इन विद्या के क्षेत्रों में कभी ध्यान नहीं दिया और दोष सनातन व्यवस्था और ब्राह्मण समाज पर मढ़ते रहे । 1200 सौ वर्षों के मुस्लिम और अन्ग्रेजों के शासन में समाज के इन पिछड़े , दलित समाजों पर उच्च वर्णों की कोई पाबन्दी नहीं थी बल्कि इन समाजों ने स्वयं अपना सुधार नहीं किया । स्वयं विद्वान , पंडित बनने में कोई रुचि नहीं ली बस दूसरों को दोष देकर खानापूर्ति कर ली । विभिन्न विषयों पर किताबें इन वर्गों द्वारा न के बराबर लिखी गयीं । खेती , मज़दूरी में लगे रहे ,पढ़ने लिखने पर ध्यान नहीं दिया ।
1947 के पश्चात संविधान लागू है पर स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं । आज भी इन दलित , पिछड़ों द्वारा कितनी किताबें लिखी जा रही हैं ? कितने लेखक , पत्रकार , कवि हैं ? नहीं हैं तो दोष आज भी हम उच्च वर्णों को देते हैं । हम अपनी मूर्खताओं के लिये भी दोषी ब्राह्मणों और उच्च वर्गों को ठहराते हैं । आज भी ज्ञान सृजन पर कोई ध्यान नहीं । अधिक से अधिक राजनैतिक सत्ता पर ध्यान तो गया पर ज्ञान , सृजन उपेक्षित ही रहा ।
आइये हम सूरज पर थूकनें के बजाय उससे सीखें । ज्ञान अर्जित करें । समानता प्राप्त करें । दलित और पिछडे़ ,उच्च वर्गों , वर्णों के समकक्ष पहुँचे ।
राज कुमार सचान होरी
कवि,लेखक, साहित्यकार , वक्ता
राष्ट्रीय संयोजक ---India Changes .राष्ट्रीय अध्यक्ष ---अर्जक साहित्य परिषद
Mob.07599155999
Eid horiindiachanges@gmail.com , arjaksangh.s.p@gmail.com
www.indiachanges.com , horibadaltabharat.blogspot.com ,arjaksahityaparishad.blogspot.com
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INDIA FIGHTS CASTEISM:casteism is a sin
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सामाजिक समानता हेतु -- दो दिवसीय उपवास
सामाजिक समानता हेतु -- दो दिवसीय उपवास
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स्थान --दारुल सफा, लखनऊ दिनांक -- 1 व 2 मई 2013
----------------------------------------------------------------------
महोदय ,
मज़दूर दिवस 1 मई को समर्पित--- विश्व भर में मानववाद , समानता की स्थापना के लिये ,ऊँच -नीच भावना,अस्प्रश्यता को समूल मिटाने के लिये तथा मानववाद की घोर विरोधी व्यवस्था --वर्ण और जाति को मिटाते हुये समरस समाज की स्थापना के लिये और सामाजिक शुद्धीकरण के लिये दो दिवसीय उपवास का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है ।
महात्मा गौतम बुद्ध , डाक्टर भीमराव अम्बेडकर , डाक्टर राम मनोहर लोहिया और महामना राम स्वरूप वर्मा आदि द्वारा पोषित सामाजिक निर्माण की आज और अधिक आवश्यकता है ।आपसे अनुरोध है कि इस कार्यक्रम में भाग लेते हुये मानववाद की स्थापना में अपना अमूल्य योगदान देने का कष्ट करें ।
दो दिवसीय उपवास कार्यक्रम का नेतृत्व श्री राज कुमार सचान "होरी" प्रसिद्ध कवि,लेखक, साहित्यकार ,समाजसेवी और प्रखर वक्ता , राष्ट्रीय संयोजक 'बदलता भारत' ( India Changes ) , राष्ट्रीय अध्यक्ष ' अर्जक साहित्य परिषद ' द्वारा किया जायेगा ।
सामूहिक उपवास कार्यक्रम में समान विचारधारा वाले व्यक्तियों और संगठनों द्वारा भाग लिया जायेगा । 1 मई की प्रात: 9 बजे से लगातार क्रमिक उपवास 2 मई की सायं 4 बजे तक किया जायेगा । दो दिन प्रथक प्रथक उपवास जत्थे बैठेंगे । कुछ व्यक्ति दो दिन का उपवास करेंगे।
यह उपवास व्यक्तिगत और सामाजिक शुद्धीकरण के लिये है । क्रपया अधिक से अधिक भाग ले कर सामाजिक जागरूकता को बढ़ायें और समरस समाज के रास्ते सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने का कष्ट करें ।
निवेदकगण ---------
हरिपाल सिंह ,प्रदेश संयोजक ,
विश्राम चौधरी सह संयोजक
रिज़वान 'चंचल' सह संयोजक
INDIA CHANGES ( बदलता भारत )
तथा
अर्जक साहित्य परिषद,लखनऊ
प्रतिष्ठा में ------ समान विचारधर्मी संगठन ।
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स्थान --दारुल सफा, लखनऊ दिनांक -- 1 व 2 मई 2013
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महोदय ,
मज़दूर दिवस 1 मई को समर्पित--- विश्व भर में मानववाद , समानता की स्थापना के लिये ,ऊँच -नीच भावना,अस्प्रश्यता को समूल मिटाने के लिये तथा मानववाद की घोर विरोधी व्यवस्था --वर्ण और जाति को मिटाते हुये समरस समाज की स्थापना के लिये और सामाजिक शुद्धीकरण के लिये दो दिवसीय उपवास का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है ।
महात्मा गौतम बुद्ध , डाक्टर भीमराव अम्बेडकर , डाक्टर राम मनोहर लोहिया और महामना राम स्वरूप वर्मा आदि द्वारा पोषित सामाजिक निर्माण की आज और अधिक आवश्यकता है ।आपसे अनुरोध है कि इस कार्यक्रम में भाग लेते हुये मानववाद की स्थापना में अपना अमूल्य योगदान देने का कष्ट करें ।
दो दिवसीय उपवास कार्यक्रम का नेतृत्व श्री राज कुमार सचान "होरी" प्रसिद्ध कवि,लेखक, साहित्यकार ,समाजसेवी और प्रखर वक्ता , राष्ट्रीय संयोजक 'बदलता भारत' ( India Changes ) , राष्ट्रीय अध्यक्ष ' अर्जक साहित्य परिषद ' द्वारा किया जायेगा ।
सामूहिक उपवास कार्यक्रम में समान विचारधारा वाले व्यक्तियों और संगठनों द्वारा भाग लिया जायेगा । 1 मई की प्रात: 9 बजे से लगातार क्रमिक उपवास 2 मई की सायं 4 बजे तक किया जायेगा । दो दिन प्रथक प्रथक उपवास जत्थे बैठेंगे । कुछ व्यक्ति दो दिन का उपवास करेंगे।
यह उपवास व्यक्तिगत और सामाजिक शुद्धीकरण के लिये है । क्रपया अधिक से अधिक भाग ले कर सामाजिक जागरूकता को बढ़ायें और समरस समाज के रास्ते सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने का कष्ट करें ।
निवेदकगण ---------
हरिपाल सिंह ,प्रदेश संयोजक ,
विश्राम चौधरी सह संयोजक
रिज़वान 'चंचल' सह संयोजक
INDIA CHANGES ( बदलता भारत )
तथा
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प्रतिष्ठा में ------ समान विचारधर्मी संगठन ।
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